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देश में कोई भी कानून से ऊपर नहीं: उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने एक व्यक्ति और उससे अलग रह रहीं उनकी पत्नी व भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी के बीच विवाद को लेकर बृहस्पतिवार को कहा कि इस देश में कोई भी कानून से ऊपर नहीं है. न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह और न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन ने व्यक्ति के वकील की इस आशंका पर यह टिप्पणी की कि उसे जीवन भर कष्ट भोगना पड़ेगा, क्योंकि उनकी पत्नी एक आईपीएस अधिकारी हैं. पीठ ने कहा कि मामले से जुड़े पक्षों को न्याय के हित में अपने विवादों का समाधान कर लेना चाहिए.

पीठ ने वकील से कहा, ह्लवह आईपीएस अधिकारी हैं. आप कारोबारी हैं. अदालत में समय बर्बाद करने से अच्छा है कि आप समझौता कर लें. अगर आपको कोई परेशान करेगा तो आपकी रक्षा करने के लिए हम यहां हैं.ह्व न्यायालय ने कहा, ह्लइस देश में कोई भी कानून से ऊपर नहीं है.ह्व वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल और मुवक्किल के पिता को महिला द्वारा दर्ज कराए गए मामलों में जेल में जाना पड़ा है.

वकील ने आरोप लगाया कि अलग रह रही पत्नी ने यह गलतबयानी की है कि उनके खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं है, जबकि पुलिस सेवा में शामिल होने के समय जिस दिन उन्होंने फॉर्म भरा था, उसी दिन उनके खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की गई थीं. पीठ ने कहा, ह्लआपकी रुचि इस बात में ज्यादा है कि उनकी नौकरी चली जाए.ह्व वकील ने कहा कि यदि उनके मुवक्किल की पत्नी ने अपने फॉर्म में कोई गलत घोषणा की थी तो गृह मंत्रालय को कार्रवाई करनी चाहिए थी. पीठ ने कहा कि यह “बहुत स्पष्ट” है कि व्यक्ति को समझौते में कोई रुचि नहीं है.

न्यायालय ने कहा, “आप अपनी जिंदगी बचाने के इच्छुक नहीं हैं बल्कि आपकी रूचि किसी और का जीवन बर्बाद करने में है. अंतत: पत्नी का जीवन बर्बाद करने की प्रक्रिया में आपका अपना जीवन भी बर्बाद हो जाएगा.” पीठ ने कहा कि उसकी नजर में यह बिल्कुल स्पष्ट हो चुका है कि व्यक्ति समझौते का इच्छुक नहीं है.” पीठ ने कहा,” आप खुशी खुशी अपनी जिंदगी बिताना नहीं चाहते. बल्कि आपका मकसद केवल किसी और की जिंदगी बर्बाद करना है. हमें एकदम साफ समझ आ गया है.”

पीठ ने कहा कि यदि पक्षकार अनिच्छुक हों तो वह उन पर समझौते के लिए दबाव नहीं डाल सकती. अदालत ने सुझाव दिया कि वे आपस में विवाद सुलझा लें. पीठ ने कहा, “यदि आपको कोई आशंका है तो हम अपने आदेश में उसका ध्यान रखेंगे.” अदालत ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी. महिला ने शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की हैं, जिनमें से एक में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जून 2022 के फैसले को चुनौती दी गई थी. उच्च न्यायालय ने महिला की शिकायत पर दर्ज आपराधिक मामले में व्यक्ति के माता-पिता को आरोप मुक्त कर दिया था.

शिवा निषाद

संपादक- शिवा निषाद सरायपाली सिटी न्यूज मेन रोड, चेक पोस्ट, झिलमिला सरायपाली मो. 8871864161, 8319644944

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