न्यायालय ने अब्बास अंसारी मामले में आदेश वापस लिया, पूछा कि क्या उनके खिलाफ कोई जांच लंबित है

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को अपना वह आदेश वापस ले लिया जिसमें पुलिस को ‘गैंगस्टर’ अधिनियम के तहत उत्तर प्रदेश के विधायक अब्बास अंसारी के खिलाफ जांच 10 दिन के भीतर पूरी करने को कहा गया था। न्यायालय ने इसके बजाय पुलिस से यह जानना चाहा कि क्या उनके खिलाफ कोई जांच लंबित है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर ंिसह की पीठ ने मामले में अगली सुनवाई के लिए छह मार्च की तारीख तय की है। इससे पहले अंसारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि जांच पूरी हो चुकी है और उत्तर प्रदेश ‘गैंगस्टर’ अधिनियम के तहत दर्ज मामले में आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है।
सिब्बल ने कहा कि राज्य ने मामले में गलत हलफनामा दाखिल किया है और अंसारी के खिलाफ कोई मामला लंबित नहीं है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज ने कहा कि उन्हें इस मामले पर और स्पष्टीकरण की आवश्यकता है।
इससे पहले दिन में पीठ ने उत्तर प्रदेश पुलिस को ‘गैंगस्टर’ अधिनियम के तहत अंसारी के खिलाफ मामले की जांच 10 दिन के भीतर पूरी करने का निर्देश दिया था। पीठ ने कहा कि मामले की जांच पूरी होने के बाद वह अंसारी की जमानत याचिका पर विचार करेगी।
अंसारी ने मुठभेड़ के डर से 31 जनवरी को ‘गैंगस्टर’ अधिनियम के तहत एक मामले में अधीनस्थ अदालत की कार्यवाही में डिजिटल माध्यम से पेश होने का अनुरोध किया था। पिछले साल 18 दिसंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उस मामले में अंसारी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी जिसमें उन पर और कुछ अन्य लोगों पर वित्तीय एवं अन्य लाभ के लिए गिरोह बनाने का आरोप लगाया गया था।
चित्रकूट जिले के कोतवाली कर्वी थाने में 31 अगस्त, 2024 को अंसारी, नवनीत सचान, नियाज अंसारी, फराज खान और शाहबाज आलम खान के खिलाफ उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स एवं असामाजिक क्रियाकलाप (रोकथाम) अधिनियम, 1986 की धारा दो, तीन के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उन पर जबरन वसूली और मारपीट का आरोप लगाया गया था।
अंसारी मऊ निर्वाचन क्षेत्र से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के विधायक हैं। जमानत याचिका खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था कि मामले में जांच जारी है। इस मामले में अंसारी को छह सितंबर, 2024 को गिरफ्तार किया गया था।