मेरे बेटे ने एक बहादुर सैनिक की तरह जान दी: विनय नरवाल के पिता

चंडीगढ़/बालासोर/रांची/झालदा. भारतीय नौसेना के अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के पिता ने कहा कि उनका बेटा बहुत अच्छा बच्चा था और ”उसने एक बहादुर सैनिक की तरह जान दी”. विनय नरवाल पहलगाम में हुए आतंकी हमले में जान गंवाने वाले 26 लोगों में से एक थे. विनय के पिता राजेश कुमार ने कहा, “यह दुख का पहाड़ है. मेरे और मेरे परिवार के लिए यह अपूरणीय और असहनीय क्षति है.” राजेश कुमार ने कहा हालांकि पूरा देश उनके परिवार और मंगलवार को पहलगाम की घटना में जान गंवाने वाले अन्य लोगों के परिवारों के साथ खड़ा है.
विनय (26) की करीब एक सप्ताह पहले ही शादी हुई थी और वह अपनी पत्नी हिमांशी के साथ पहलगाम में ‘हनीमून’ पर गये थे.
बुधवार शाम करनाल में विनय का अंतिम संस्कार किया गया. केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर शोक संतप्त परिवार से मिलने करनाल स्थित उनके घर गए. विनय नरवाल के दादा हवा सिंह को सांत्वना देते हुए खट्टर रो पड़े. राजेश कुमार ने पत्रकारों के पूछने पर बताया कि जब विनय इंजीनियरिंग के तीसरे वर्ष की पढ़ाई कर रहे थे तब उन्होंने एक अधिकारी के रूप में रक्षा बलों में शामिल होने की इच्छा जताई थी.
उन्होंने कहा हालांकि वह (विनय) भारतीय वायु सेना में लड़ाकू पायलट बनने का इच्छुक था लेकिन आखिरकार उसने अपने पहले ही प्रयास में परीक्षा पास करने के बाद भारतीय नौसेना में नौकरी हासिल कर ली. सरकारी कर्मचारी कुमार ने कहा, “विनय एक तेजतर्रार अधिकारी और प्रतिभाशाली छात्र था.” उन्होंने घटना के बाद सभी आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार और स्थानीय प्रशासन की भी सराहना की.
विनय नरवाल की बहन सृष्टि ने बताया कि उनका भाई उनके लिए सबकुछ था और हमेशा रहेगा. बृहस्पतिवार को बड़ी संख्या में लोग नरवाल के घर संवेदना व्यक्त करने पहुंचे. पहलगाम में आतंकी घटना से कुछ दिन पहले ही विनय की शादी की खुशी में शामिल होने के लिए उनके करनाल स्थित आवास पर रिश्तेदारों, पड़ोसियों और अन्य लोगों का तांता लगा हुआ था.
खट्टर ने नरवाल परिवार से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत में आतंकी हमले की घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा, “आज दुनिया के देश इस मामले में आतंकवाद के खिलाफ हमारे साथ खड़े हैं और भारत आतंकवाद को दबाने और इन घटनाओं का बदला लेने के लिए जो भी जरूरी होगा, वह जरूर करेगा.” यह पूछने पर कि पाकिस्तान और आतंकी घटनाओं में लिप्त लोगों के लिए वह क्या संदेश देना चाहते हैं तो कुमार ने कहा, “यह मेरे देश से जुड़ा मामला है और सरकार अपना काम कर रही है.” खट्टर ने कहा कि वह आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हैं. केंद्रीय मंत्री ने आतंकी हमले को ‘शर्मनाक’ बताया. उन्होंने कहा, “यह बेहद दुख की बात है कि हमने अपने बहादुर अधिकारी को खो दिया. इस घटना ने हम सभी को दुखी कर दिया है.”
ओडिशा: पहलगाम हमले में मारे गए प्रशांत सत्पथी की चिता को नौ साल के उनके बेटे ने दी मुखाग्नि
सदमे में डूबा नौ वर्षीय तनुज अपने बड़ों के निर्देशों का पालन करते हुए बृहस्पतिवार की सुबह अपने पिता प्रशांत सत्पथी की चिता को मुखाग्नि देते समय कुछ भी समझ नहीं पा रहा था. प्रशांत की पत्नी प्रिया र्दिशनी गमगीन होकर किसी को भी शव को छूने नहीं दे रही थीं और शव को श्मशान ले जाने से मना कर रही थीं. वह थोड़ी-थोड़ी देर में शव से लिपट जाती थीं. बाद में वह बेहोश हो गईं.
श्मशान की तरफ जाने वाली सड़क के दोनों ओर मौजूद लोग अंतिम संस्कार के दौरान तनुज को देखकर रो पड़े. नौ साल का तनुज स्थिति को समझ नहीं पा रहा था और वह बस अपने बड़ों के दिए गए निर्देशों का पालन कर रहा था. ओडिशा के बालासोर जिले के मूल निवासी प्रशांत मंगलवार को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में मारे गए. प्रशांत को श्रद्धांजलि देने के लिए दूर दूर से सैकड़ों लोग रेमुना ब्लॉक के इशानी गांव में एकत्र हुए थे.
श्रद्धांजलि देने वालों में प्रशांत का एक करीबी दिव्यांग व्यक्ति भी शामिल था, जो गांव में विशेष रूप से तैयार किए गए तिपहिया वाहन पर आया था. लेकिन सम्मान के तौर पर वह प्रशांत के घर से श्मशान तक रेंगकर गया. मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, परिवहन मंत्री बिभूति भूषण जेना और बालासोर के सांसद प्रताप चंद्र सारंगी समेत सैकड़ों लोग शव यात्रा के दौरान तनुज के साथ उनके घर से लगभग एक किलोमीटर दूर श्मशान भूमि तक गए. श्मशान में ‘जय हिंद’ और ‘प्रशांत सत्पथी अमर रहे’ के नारों के बीच तनुज ने अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी.
प्रशांत के बड़े भाई सुशांत यहां श्मशान में कई बार बेहोश हुए. तीनों भाइयों में सबसे छोटे जयंत ने कहा कि वह रीति-रिवाजों के अनुसार नौ दिनों तक अनुष्ठान करेंगे. प्रशांत (41) ‘सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी’ के कर्मचारी थे. वे अपनी पत्नी और बेटे के साथ छुट्टियों में जम्मू कश्मीर के पहलगाम गए थे.
माझी ने सुबह प्रशांत के परिजन से मुलाकात की और उनके घर पर करीब एक घंटा बिताया. उन्होंने प्रशांत की पत्नी प्रिया र्दिशनी और बुजुर्ग मां को सांत्वना दी. उन्होंने पत्रकारों से कहा, ”मैं इस घटना की कड़ी निंदा करता हूं और राज्य सरकार संकट की इस घड़ी में प्रशांत सत्पथी के परिवार के साथ मजबूती से खड़ी है. राज्य सरकार उनके परिवार को 20 लाख रुपये की वित्तीय सहायता राशि प्रदान करेगी, उनकी पत्नी को नौकरी देगी और उनके बेटे की शिक्षा का खर्च उठाएगी.”
‘रंजन मुस्कुराते हुए कश्मीर के लिए रवाना हुआ’: आईबी अधिकारी का शव घर पहुंचते ही रो पड़े पिता
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में मारे गए आसूचना ब्यूरो (आईबी) अधिकारी मनीष रंजन का शव जैसे ही पुरुलिया जिले में स्थित उनके घर पहुंचा तो उनके पिता एम.के. मिश्रा असहनीय पीड़ा से बिलख उठे. एम.के. मिश्रा पश्चिम बंगाल के झालदा में सेवानिवृत्त प्राधानाध्यापक है और बृहस्पतिवार को उनके 33 वर्षीय बेटे का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा. ”मैं बोलना नहीं चाहता… कृपया मुझे अकेला छोड़ दीजिए” यही एकमात्र शब्द थे जो आईबी अधिकारी मनीष रंजन के पिता रुंधे गले से कह सके. रंजन हैदराबाद में आईबी के ‘सेक्शन ऑफिसर’ के पद पर तैनात थे और पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकवादी हमले में उनके सहित 26 लोग मारे गए.
उनके पिता ने कहा, ”रंजन मुस्कुराते हुए कश्मीर के लिए रवाना हुआ था. वह हर दिन फोन और ‘व्हाट्सएप’ पर हमसे हमारा हालचाल पूछता था. उस दिन भी हमने उससे फोन पर बात की थी.” रंजन के एक मित्र ने बताया कि इस छुट्टी से लौटने के बाद उसने अपने माता-पिता को वैष्णो देवी मंदिर ले जाने की योजना बनाई थी. रंजन का पार्थिव शरीर लेने के लिए बृहस्पतिवार को रांची हवाई अड्डे पर मौजूद संजीव कुमार गुप्ता ने कहा कि वह एक मेधावी छात्र था.
रंजन के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक स्थान ले जाने के लिए रांची हवाई अड्डे पर आए उनके एक अन्य मित्र आदित्य शर्मा ने कहा, ”हमने कभी नहीं सोचा था कि ऐसी घटना घटेगी. लोग कहते हैं कि आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन निर्दोष लोगों को उनके धर्म के कारण बेरहमी से मार दिया गया”. रंजन और 25 अन्य मृतकों के शोक में झालदा कस्बे में दुकानें बंद रहीं. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की झारखंड इकाई के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी समेत अन्य नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों ने हवाई अड्डे पर रंजन को श्रद्धांजलि दी. मरांडी ने कहा कि धर्म के आधार पर निर्दोष लोगों की हत्या करना क्षमा योग्य नहीं है.