‘जश्नजीवी भाजपाई’ को सुरक्षा मिलती है, लेकिन पर्यटकों को क्यों नहीं : अखिलेश यादव

लखनऊ. समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए मंगलवार को सवाल किया कि ‘जश्नजीवी भाजपाई’ को सुरक्षा मिलती है लेकिन पर्यटकों को सुरक्षा क्यों नहीं मिली. उन्होंने सरकार पर सार्वजनिक सुरक्षा से ज्यादा वीआईपी सुरक्षा को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया.
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे. सपा प्रमुख यादव ने मंगलवार को ‘एक्स’ एक लंबे पोस्ट में कहा, “पूछता है पहलगाम का पर्यटक…. खतरों के बीच मेरी रक्षा करनेवाला कोई वहां क्यों नहीं था?” उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में गुजरात के ठग किरण पटेल का नाम लिए बिना सरकार की सुरक्षा नीतियों पर सवाल उठाए.
पटेल ने खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) का कथित तौर पर अधिकारी बताकर पूरी सुरक्षा के तहत कश्मीर का दौरा किया था.
सपा प्रमुख ने सवाल किया, “कुछ ऐसे व्यक्ति, जो बाद में धोखेबाज निकलते हैं, उन्हें सरकार द्वारा इतनी कड़ी और व्यापक सुरक्षा क्यों दी जाती है? कुछ ऐसे लोगों को सरकार की ओर से चाक-चौबंद सुरक्षा घेरा क्यों दिया जाता है जो बाद में ठग साबित होते हैं?” पटेल को पिछले वर्ष मार्च में कश्मीर के अपने तीसरे दौरे पर श्रीनगर के एक होटल से गिरफ्तार किया गया था.
कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने संवेदनशील क्षेत्रों में व्यक्तियों की पृष्ठभूमि की जांच पर भी संदेह जताया और कहा कि कोई भी व्यक्ति उचित जांच के बिना उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्रों में प्रवेश कैसे कर सकता है? उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा, “जब ‘जश्नजीवी भाजपाई’ यहां विवादित निजी कार्यक्रम आयोजित करते हैं तो लगभग 250 वीवीआईपी के लिए हजारों सुरक्षार्किमयों के कई घेरे बना दिये जाते हैं, वह भी उनके निजी कार्यक्रम में, जिनका काम किसी और के शब्दों को स्वर देना है. जिनका स्वयं कोई अस्तित्व नहीं है, जो अदालत तक की अवमानना करते हैं, ऐसे लोगों को सुरक्षा किस आधार पर मिलती है और पर्यटकों को सुरक्षा क्यों नहीं मिली?” यादव का संकेत 22 अप्रैल को हुए हमले से कुछ दिन पहले कश्मीर के गुलमर्ग में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के कड़ी सुरक्षा में हुए कथित भव्य पारिवारिक कार्यक्रम की ओर था.
झारखंड के गोड्डा से सांसद दुबे ने उच्चतम न्यायालय पर भी कथित टिप्पणी की थी, जिससे विवाद उठ गया था. सपा प्रमुख यादव ने कहा, “यह अति गंभीर प्रश्न हैं. जिन्होंने अपनों को खोया है, उन पर दबाव डालकर उनके बयान भले ही बदलवा दिये जाएं, लेकिन भाजपाई याद रखें कि ‘बयान बदलवाने से सच नहीं बदल जाता है.” यादव ने ‘एक्स’ पर एक अन्य पोस्ट में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आपराधिक मामलों में अपनी ही जाति के लोगों को बचाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि प्रदेश में ‘सत्ता सजातीय को सब माफ’ का फार्मूला जारी है.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”बनारस वाले जिन हरीश मिश्रा पर प्राणघातक हमला हुआ था, भाजपा सरकार ने उनको ही जेल भेज दिया था. उनको बाहर आने में कई दिन लगे. लेकिन दलित सांसद रामजी लाल सुमन पर जानलेवा हमले करनेवाले 24 घंटे से पहले ही बाहर आ गये.” अखिलेश यादव ने कहा, “रामजी लाल सुमन के मामले में निलंबित किये गए पुलिस अधिकारी को यह सरकार कहीं पिछले दरवाजे से बहाल करके, पदोन्नत करके पुरस्कार स्वरूप कोई और बड़ा पद न दे दे. उप्र में अन्यायराज है.” वाराणसी में समाजवादी पार्टी (सपा) के कार्यकर्ता हरीश मिश्रा ने 12 अप्रैल को आरोप लगाया था कि करणी सेना के सदस्यों ने उनके घर के बाहर उन पर हमला किया.
दोनों पक्षों की तहरीर पर प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई कर रही पुलिस ने बताया कि इस मामले में कोई भी व्यक्ति करणी सेना से संबद्ध नहीं है. उधर, राणा सांगा के खिलाफ टिप्पणी को लेकर निशाने पर आये समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सदस्य रामजी लाल सुमन के काफिले पर रविवार को अलीगढ़ और दिल्ली के बीच गभाना टोल बूथ पर कथित रूप से करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने टायर फेंके.
पुलिस ने इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया और संबंधित चौकी प्रभारी समेत दो पुलिसर्किमयों को निलंबित कर दिया.
अलीगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) संजीव सुमन ने बताया था कि सपा के राज्यसभा सदस्य रामजी लाल सुमन के काफिले पर हुए हमले के मद्देनजर रविवार शाम पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
सुमन के अनुसार, गिरफ्तार किए गए लोगों में कृष्ण ठाकुर, सुमित ठाकुर, सुधीर ठाकुर, सचिन सिंह और भूपेंद्र शामिल हैं.
अखिलेश यादव ने अपने पोस्ट में इन आरोपियों की रिहाई के बाद सरकार पर निशाना साधा और संकेतों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की क्षत्रिय जाति के लोगों को “सत्ता सजातीय” की उपमा देते हुए सरकार पर उन्हें सरंक्षण देने का आरोप लगाया.