भारत पर बुरी नजर रखने वालों को ‘मुंहतोड़ जवाब’ देना मेरी जिम्मेदारी : रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

नयी दिल्ली. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि सशस्त्र बलों के साथ मिलकर काम करना और भारत पर बुरी नजर रखने वालों को ”मुंहतोड़ जवाब” देना उनकी जिम्मेदारी है. सिंह की यह टिप्पणी 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की पृष्ठभूमि में आयी है, जिसमें 26 लोग मारे गए थे.
रक्षामंत्री सिंह ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं और उनकी कार्यशैली, दृढ़ संकल्प और जिस तरह से वह ”जोखिम उठाते” हैं, उससे वे भली-भांति परिचित हैं. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सिंह ने कुछ भी स्पष्ट किये बिना कहा, ”मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आप जो चाहते हैं, वह निश्चित रूप से होगा.” सिंह का यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के सीमापार संबंधों के मद्देनजर पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई पर विचार कर रहा है. उक्त हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे.
सिंह ने कहा, ”रक्षा मंत्री के तौर पर यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं अपने सैनिकों के साथ मिलकर काम करूं और देश की सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करूं. यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं सशस्त्र बलों के साथ मिलकर उन लोगों को मुंहतोड़ जवाब दूं, जो हमारे देश पर बुरी नजर रखते हैं.” राजनाथ सिंह ने रविवार को यहां ”सनातन संस्कृति जागरण महोत्सव” में एक सभा को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने ‘देश की आत्मा की रक्षा’ में संतों और आध्यात्मिक नेताओं की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि एक सैनिक ”रणभूमि” में लड़ता है, जबकि एक संत ”जीवनभूमि” में लड़ता है.
सिंह ने कहा कि भारत की ताकत केवल इसकी सशस्त्र सेनाओं में ही नहीं, बल्कि इसकी संस्कृति और आध्यात्मिकता में भी निहित है. उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी भूमि है जो अर्जुन जैसे योद्धा के लिए जानी जाती है, लेकिन इसने दुनिया को भगवान बुद्ध जैसे संत भी दिए हैं.
सिंह ने कहा, ”यह एक ऐसा देश है जहां तलवार को तपस्या से शुद्ध किया जाता है.” रक्षा मंत्री ने कहा कि 2047 तक ”विकसित भारत” के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए देश को हर तरह से मजबूत बनना होगा. उन्होंने कहा, ”हम तभी सही मायने में विकसित भारत बन पाएंगे, जब हम आर्थिक के साथ-साथ आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी मजबूत होंगे.” पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है.
पहलगाम आतंकवादी हमले के एक दिन बाद 23 अप्रैल को यहां आयोजित एक कार्यक्रम में सिंह ने कहा था, ”सरकार हर वह कदम उठाएगी जो आवश्यक और उचित होगा.” उन्होंने कहा था, ”हम न केवल इस घटना को अंजाम देने वालों का पता लगाएंगे, बल्कि हम उन लोगों तक भी पहुंचेंगे, जिन्होंने पर्दे के पीछे बैठकर भारतीय धरती पर इस नापाक कृत्य को अंजाम देने की साजिश रची है.” रक्षा मंत्री ने कहा था कि जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हमले में शामिल लोगों को जल्द ही कड़ा जवाब दिया जाएगा और भारत ऐसी आतंकवादी गतिविधियों से डरने वाला नहीं है.
राजनाथ सोमवार को जापान के रक्षा मंत्री के साथ वार्ता करेंगे
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को जापान के अपने समकक्ष जनरल नकातानी के साथ व्यापक वार्ता करेंगे. यह वार्ता पहलगाम आतंकवादी हमले को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव तथा दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों की पृष्ठभूमि में होगी. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि भारतीय और जापानी पक्ष मौजूदा क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा हालात पर ”विचारों” का आदान-प्रदान करेंगे तथा द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और गहरा करने के तरीकों पर चर्चा करेंगे.
वार्ता में पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद पैदा हालात पर भी चर्चा हो सकती है. इस हमले में 26 लोग मारे गए थे.
दोनों पक्षों के बीच भारत-जापान रक्षा औद्योगिक सहयोग को बढ़ावा देने के तरीकों पर भी विचार-विमर्श होने की संभावना है.
भारत और जापान के रक्षा मंत्रियों के बीच छह महीने के भीतर यह दूसरी बैठक होगी. इससे पहले नवंबर में लाओस में आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान उनकी मुलाकात हुई थी. उस बैठक में, राजनाथ और जनरल नकातानी ने दोनों सेनाओं के बीच अधिक सामंजस्य के लिए आपूर्ति और सेवा समझौते के पारस्परिक प्रावधान पर विचार-विमर्श किया.
पारस्परिक आपूर्ति एवं सेवा समझौता हो जाने पर दोनों देशों की सेनाओं को सैन्य साजो-सामान, उपकरणों की मरम्मत और आपूर्ति के संबंध में एक-दूसरे के अड्डों का इस्तेमाल करने की सुविधा मिलेगी, साथ ही समग्र रक्षा सहयोग को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.
मंत्रालय ने राजनाथ-नकातानी की मुलाकात से पहले कहा, ”भारत और जापान के बीच दीर्घकालिक मित्रता है, इसमें 2014 में इस सहयोग को विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी तक बढ़ाए जाने के बाद गुणात्मक प्रगति हुई है.” बयान में कहा गया, ”रक्षा और सुरक्षा दोनों देशों के बीच संबंधों के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं.” पता चला है कि दोनों पक्ष पूर्वी और दक्षिण चीन सागर के रणनीतिक जलक्षेत्र में स्थिति की भी समीक्षा करेंगे, जहां बीजिंग अपनी सैन्य गतिविधियां बढ़ा रहा है. बयान में कहा गया, ”सामरिक मामलों के विस्तार के कारण हाल के वर्षों में भारत और जापान के बीच रक्षा आदान-प्रदान में वृद्धि हुई है. हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति, सुरक्षा और स्थिरता के मुद्दों पर साझा दृष्टिकोण से इसका महत्व बढ़ रहा है.”