विपक्षी दलों ने नागपुर हिंसा के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया

नयी दिल्ली/संभाजीनगर/लखनऊ. विपक्षी सांसदों ने नागपुर हिंसा के लिए मंगलवार को भाजपा नीत महाराष्ट्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया जबकि केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने कहा कि फिल्म ‘छावा’ ने 17वीं सदी के मुगल शासक औरंगजेब के खिलाफ लोगों की भावनाओं को जगा दिया. सोमवार को औरंगजेब की कब्र के खिलाफ प्रदर्शन के बाद भड़की हिंसा के मद्देनजर नागपुर शहर के कई इलाकों में कफ्र्यू लगा दिया गया है. हिंसा के दौरान कई घरों और वाहनों में तोड़फोड़ की गई.
आठवले ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, ”औरंगजेब की कब्र को लेकर मांग उठ रही है, आंदोलन चल रहा है. कब्र वहां 500 साल से है, लेकिन ‘छावा’ फिल्म देखने के बाद संभाजी महाराज की जिस तरह हत्या की गई, उससे लोग नाराज हैं.” उन्होंने कहा, ”इसीलिए विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. हम प्रदर्शनकारियों से अपील करते हैं कि वे शांतिपूर्वक आंदोलन करें. कोई हिंसा नहीं होनी चाहिए.
आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह ने कहा कि नागपुर में हुई हिंसा एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी.
उन्होंने आरोप लगाया, ”भाजपा लंबे समय से नागपुर और पूरे महाराष्ट्र में नफरत फैलाने की कोशिश कर रही है. जब तक भाजपा है, भारत में शांति नहीं हो सकती. होली से पहले उन्होंने उत्तर प्रदेश में शांति भंग करने की कोशिश की, इसके पीछे क्या कारण है? ऐसा इसलिए ताकि लोग गिरते शेयर बाजार के बारे में बात न कर सकें, आर्थिक असमानता सौ साल में सबसे अधिक है, बेरोजगारी है.” सिंह ने कहा, ”ये चिल्ला रहे हैं औरंगजेब, औरंगजेब, जनता कह रही है कट गई जेब….” कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 21वीं सदी के भारत में लोग 17वीं और 18वीं सदी के इतिहास को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
उन्होंने संसद के बाहर मीडिया से कहा, ”यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह की हिंसा भड़क उठी. राज्य और केंद्र सरकार को इसे रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए. मैं हैरान हूं कि यह हिंसा क्यों हुई.” आजाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर ने कहा कि सरकार बेरोजगारी और गरीबी के मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है.
चंद्रशेखर ने कहा, ”दंगे, चाहे नागपुर में हों, मणिपुर में हों या उत्तर प्रदेश में, ठीक नहीं हैं. हिंसा के पीछे जो लोग हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, चाहे वे भाजपा नेता हों या कांग्रेस नेता….” उन्होंने संसद के बाहर मीडिया से कहा, ”केंद्र को राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगना चाहिए, जो इस सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे रही है. दुनिया अंतरिक्ष में जाने की बात कर रही है, हम जमीन के दो फुट नीचे जाना चाहते हैं, इससे हमें विकसित देश बनने में कैसे मदद मिलेगी? हर कोई जानता है कि यह किस पार्टी का एजेंडा है…”
तृणमूल कांग्रेस सांसद सागरिका घोष ने कहा कि नागपुर में हुई हिंसा ने केंद्र के ‘विकसित भारत’ नारे को खोखला कर दिया है. उन्होंने कहा, ”ऐसे समय में जब ध्यान रोजगार, किसान आत्महत्या, बढ़ती कीमतों पर होना चाहिए, भाजपा क्या कर रही है? वह लोगों को भटकाने का एक और हथियार बना रही है.” भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के पी संदोष कुमार ने हिंसा की निंदा की और महाराष्ट्र सरकार से जवाबदेही की मांग की. उन्होंने कहा, ”यह इतिहास को खंगालने और समाज को विभाजित करने का प्रयास है.” नागपुर के पुलिस आयुक्त रवींद्र सिंघल ने मंगलवार को बताया कि हिंसा के सिलसिले में 50 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है और पांच प्राथमिकी दर्ज की गई है.
नागपुर हिंसा ‘सरकार प्रायोजित’ : जरांगे छत्रपति
मराठा आरक्षण की मांग कर रहे कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने नागपुर में अशांति के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को जिम्मेदार ठहराते हुए मंगलवार को दावा किया कि नागपुर में हिंसा ‘महायुति’ सरकार द्वारा प्रायोजित थी. जरांगे ने कहा कि वे (सरकार) मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र (छत्रपति सामभाजीनगर जिले में स्थित) को संरक्षण दे रहे हैं और साथ ही (दक्षिणपंथी संगठनों की ओर से) इसे हटाने की मांग भी हो रही है. उन्होंने कहा कि लोगों को यह बात समझनी चाहिए.
छत्रपति संभाजीनगर के एलोरा में पत्रकारों से बातचीत में जरांगे ने आरोप लगाया,”यह दंगा सरकार और देवेंद्र फडणवीस द्वारा प्रायोजित है.” उन्होंने कहा, ”अब उन्हें वे लोग नहीं दिखते जिन्होंने शिवाजी महाराज का अपमान किया था.” उनका इशारा अभिनेता राहुल सोलापुरकर और नागपुर के एक निवासी की ओर था, जिन पर मराठा शासक का अपमान करने का आरोप है. जरांगे ने जानना चाहा कि ऐसे मामलों में उनके हिंदुत्व का क्या होता है.
उन्होंने कहा, ”स्थानीय निकाय चुनाव के समय ऐसी हरकतें ठीक नहीं है.” उन्होंने कहा, ”अगर वे औरंगजेब की कब्र हटाना चाहते हैं, तो वे केंद्र और राज्य में सत्ता में हैं. अगर कांग्रेस ने पहले ढांचे को बचाने में गलती की थी, तो अब शासकों के पास इसे सुधारने का मौका है. यह (हिंसा) सिफ.र् ग.रीब लोगों को आपस में लड़ाने के लिए की जा रही है. गरीब लोगों को सतर्क रहना चाहिए.” जरांगे ने कहा कि अगर वे कब्र हटाना चाहते हैं, तो वे इसे ”एक मिनट में” कर सकते हैं. उन्होंने दावा किया, ”लेकिन कब्र को उसी समय राज्य द्वारा पुलिस सुरक्षा दी जाती है. लोगों में यह समझने की बुद्धि है. स्थानीय शासन निकाय के चुनाव नजदीक हैं. वे (सत्तारूढ़ दल) चुनाव जीतना चाहते हैं. वे लोगों, किसानों और महिलाओं को परेशान करने वाले मुद्दों को हल नहीं कर सकते.”
भाजपा सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए संभल और औरंगजेब जैसे मुद्दे उछालती है : अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर धार्मिक स्थलों को खतरे में डालने एवं सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए संभल तथा औरंगजेब जैसे मुद्दे उछालती है.
यादव ने यहां रोज़ा इफ्तार के बाद पत्रकारों से कहा कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त होने के साथ ही स्वास्थ्य एवं शिक्षा सेवाएं बर्बाद है, लेकिन भाजपा सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए संभल और औरंगजेब जैसे मुद्दे उछालती है. सपा मुख्यालय से जारी एक बयान के अनुसार यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार में राज्य में कानून व्यवस्था चरमरा गयी है, हत्या, लूट और अपराध चरम पर है. उन्होंने दावा किया कि सत्ता के संरक्षण में दबंगों, अराजकतत्वों और अपराधियों के हौसले बढ़े हुए है.
सपा प्रमुख ने हाल की कुछ घटनाओं को गिनाते हुए कहा कि शाहजहांपुर में पुलिस को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया, बरेली में डीएसपी का घर और गाड़ी जला दी गयी, जेल के अधिकारी अपने ही अधिकारी पर आरोप लगा रहे हैं, उनकी शिकायत कर रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, उल्टे शिकायत करने वाले पर ही कार्रवाई कर दी गयी. यादव ने कहा कि भाजपा सरकार पुलिस से गलत काम करा रही है, अन्याय करा रही है. उन्होंने कहा कि भाजपा ने उपचुनाव में पुलिस के जरिए मतदान केंद्रों को लूटा है तथा वह विपक्षी दलों के नेताओं पर झूठे मुकदमे लगवा रही है.
उन्होंने भाजपा पर अपने राजनीतिक लाभ के लिए पुलिस का दुरूपयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब भाजपा सरकार पुलिस से गलत काम करायेगी तो उसे पुलिस के गलत काम को छिपाना पड़ेगा. यादव ने दावा किया,”धीरे-धीरे भाजपा के आचरण के कारण न केवल मस्जिदें बल्कि सभी धार्मिक स्थल खतरे में पड़ जाएंगे. यहां तक कि हमारा केदारेश्वर मंदिर (इटावा में) भी उनके लिए समस्या बन गया है.” उन्होंने कहा कि भाजपा दूसरों द्वारा मंदिर निर्माण के प्रयासों पर आपत्ति जताती है. उन्होंने कहा, ”अगर हम अपने लोगों के समर्थन से मंदिर बनाते हैं, तो भी भाजपा को परेशानी होती है. ऐसे में हमें क्या कहना चाहिए? भाजपा के शासन में हर धार्मिक स्थल खतरे में है.”