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पाकिस्तानी सेना ने जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा से सटे गांवों पर की गोलीबारी, 12 लोगों की मौत

जम्मू/श्रीनगर/पुंछ. पाकिस्तानी सेना ने बुधवार को जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास स्थित गांवों को निशाना बनाकर भारी गोलाबारी की, जिसमें चार बच्चों सहित कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई और 57 अन्य घायल हो गए. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. यह गोलाबारी भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकवादी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए जाने के तुरंत बाद हुई.

अधिकारियों ने बताया कि सभी नागरिकों की मौत गोलाबारी से सबसे अधिक प्रभावित पुंछ जिले में हुईं है. उन्होंने बताया कि 42 लोग घायल भी हुए हैं, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है. अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान की अंधाधुंध गोलाबारी से सीमावर्ती निवासियों में दहशत फैल गई और उन्हें भूमिगत बंकरों में शरण लेने या अपने गांवों के भीतर या बाहर सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा.

उन्होंने बताया कि पुंछ में नियंत्रण रेखा के पास बालाकोट, मेंढर, मनकोट, कृष्णा घाटी, गुलपुर, केरनी और यहां तक ??कि पुंछ जिला मुख्यालय से भी गोलाबारी की खबर है, जिसके परिणामस्वरूप दर्जनों आवासीय मकानों और वाहनों को नुकसान पहुंचा है. अधिकारियों ने मृतकों की पहचान बलविंदर कौर उर्फ ??रूबी (33), मोहम्मद ज.ैन खान (10), उसकी बड़ी बहन जोया खान (12), मोहम्मद अकरम (40), अमरीक सिंह (55), मोहम्मद इकबाल (45), रणजीत सिंह (48), शकीला बी (40), अमरजीत सिंह (47), मरियम खातून (7), विहान भार्गव (13) और मोहम्मद रफी (40) के रूप में की गई है.

अधिकारियों ने बताया कि बारामूला जिले के उरी सेक्टर में सीमा पार से हुई गोलाबारी में पांच नाबालिग बच्चों सहित 10 लोग घायल हो गए, जबकि राजौरी जिले में तीन अन्य घायल हो गए. उन्होंने बताया कि कुपवाड़ा जिले के करनाह सेक्टर में गोलाबारी के कारण कई घरों में आग लग गई. दोपहर तक सीमा पार से गोलाबारी तीव्र रही तथा बाद में रुक-रुक कर जारी रही. यह गोलीबारी मुख्यत? पुंछ सेक्टर तक ही सीमित रही.

अधिकारियों ने बताया कि भारी गोलाबारी के कारण लोगों को, घायलों को अस्पताल पहुंचाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. गोलाबारी में पुंछ बस स्टैंड भी चपेट में आ गया, जिससे कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए. इससे पहले रक्षा प्रवक्ता ने बताया था कि छह और सात मई की मध्यरात्रि के दौरान पाकिस्तान सेना ने जम्मू कश्मीर के सामने नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित अपनी चौकियों से अंधाधुंध तरीके से गोलीबारी की, जिसमें भारी तोपों से की गई गोलाबारी भी शामिल थी. उन्होंने बताया था कि भारतीय सेना गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब दे रही है.  सेना के सूत्रों ने बताया कि जवाबी कार्रवाई में भारतीय सैनिकों ने दुश्मन सेना की कई चौकियां नष्ट कर दीं और उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया.

सूत्रों ने बताया कि अंतिम रिपोर्ट मिलने तक पुंछ सहित कुछ सेक्टरों में दोनों पक्षों के बीच सीमा पार से गोलीबारी जारी थी.
अधिकारियों ने आदेश दिया है कि जम्मू क्षेत्र के पांच सीमावर्ती जिलों में सभी शैक्षणिक संस्थान बुधवार को बंद रहेंगे. संभागीय आयुक्त रमेश कुमार ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, “मौजूदा स्थिति को देखते हुए जम्मू, सांबा, कठुआ, राजौरी और पुंछ में सभी स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान आज बंद रहेंगे.” भारतीय सेना के अतिरिक्त लोक सूचना महानिदेशालय (एडीजीपीआई) ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, “पाकिस्तान ने पुंछ-राजौरी क्षेत्र के भीमबेर गली में गोलाबारी करके एक बार फिर संघर्ष विराम समझौते का उल्लंघन किया है. भारतीय सेना उचित तरीके से जवाब दे रही है.” भारत और पाकिस्तान द्वारा 25 फरवरी 2021 को संघर्ष-विराम समझौते का नवीनीकरण किए जाने के बाद से नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर संघर्ष-विराम उल्लंघन की घटनाएं काफी कम हो गई थीं.

जम्मू-कश्मीर के पुंछ में पाकिस्तान की भारी गोलाबारी से तबाही का मंजर
पाकिस्तान की ओर से जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती पुंछ जिले में दागे गए गोलों से बुधवार को भारी तबाही हुई और नौ लोगों की मौत हो गई, जबकि 28 घायल हो गये. भारत द्वारा मंगलवार और बुधवार की दरमियानी रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में स्थित नौ आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाये जाने के बाद सीमा पार से भारी गोलाबारी की गयी, जिसमें नौ लोगों की मौत हो गयी और 28 घायल हो गये.

भारत की इस कार्रवाई को पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के विरुद्ध जवाबी कार्रवाई माना जा रहा है. पाकिस्तानी गोलाबारी केवल पुंछ तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि जम्मू क्षेत्र के राजौरी जिले के अग्रिम इलाकों तथा कुपवाड़ा जिले के उरी, करनाह और तंगधार सेक्टर में भी की गई. स्थानीय निवासियों और अधिकारियों ने अंधाधुंध गोलाबारी को “बर्बर और कायरतापूर्ण” बताया.

यह गोलाबारी पूरे सीमावर्ती क्षेत्र में रात करीब दो बजे शुरू हुई, जिससे दर्जनों आवासीय मकान क्षतिग्रस्त हो गए और विस्फोटों की तेज आवाज सुनकर जाग चुके लोगों को छिपने के लिए भागना पड़ा. मौके पर स्थिति की निगरानी कर रहे एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान की ओर से भारी तोपखाने और मोर्टार का इस्तेमाल किया गया, जिसमें मनकोट, मेंढर, ठंडी कस्सी और पुंछ शहर के दर्जनों अग्रिम गांवों और घनी आबादी वाले नागरिक इलाकों को निशाना बनाया गया. अंधाधुंध गोलाबारी के चलते कई मकानों को नुकसान पहुंचा, वाहन जल गए, दुकानें क्षतिग्रस्त हो गईं और सड़कों पर खून व मलबा बिखर गया. पुंछ का ऐतिहासिक किला और कई प्राचीन मंदिर भी क्षतिग्रस्त हो गए.

एक अधिकारी ने कहा, “निहत्थे नागरिकों को निशाना बनाना कोई वीरता नहीं, बल्कि यह पाकिस्तान की कायरता है.” पुंछ शहर के निवासियों ने बताया कि रातभर गोलबारी की आवाज से पूरा इलाका दहल गया और लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते रहे.
स्थानीय निवासी मोहम्मद जाहिद ने कहा, “यहां युद्ध जैसा माहौल था. घायल लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे और परिवारों को सुरक्षित ठिकानों की तलाश करनी पड़ी. तबाही का मंजर हर तरफ देखा जा सकता था.” धाकी के 150 से अधिक लोग अपने रिश्तेदारों के घरों में शरण लेने को मजबूर हो गए.

धाकी में रहने वाले खुर्शीद अहमद ने कहा, “हमें ऐसी स्थिति की कोई उम्मीद नहीं थी. हम भाग्यशाली थे कि गोलाबारी से बच गए और इसलिए, फिलहाल किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाना ही बेहतर था.” पुंछ में संयुक्त राष्ट्र केंद्र और वन विभाग की इमारतों के पास भी तोप के गोले गिरे, जिससे दोनों संरचनाओं को भारी नुकसान पहुंचा. पुलिस ने बताया कि पांच मृतकों में मोहम्मद जैन खान (10) और उसकी बड़ी बहन ज.ोया खान (12) शामिल हैं.

मनकोट निवासी सरदार नवनीत सिंह ने कहा, “पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना की कार्रवाई का जवाब देने के लिए नागरिकों को निशाना बनाया. वे सैन्य ठिकानों से चूक गए और रात भर हम पर भारी गोलाबारी की, जिससे हमारे लोग मारे गए और कई घायल हो गए. हमारे घरों और संपत्तियों को भारी नुकसान हुआ है.” मनकोट में सबसे पहले एक मोर्टार का गोला कालासिंह के घर पर गिरा, जिसमें उनकी पत्नी बलविंदर कौर की मौत हो गई और उनकी 13 वर्षीय बेटी घायल हो गई.

वन विभाग के मोहम्मद सादिक ने बताया कि उनके दो साथी उस वक्त घायल हो गए जब गोला वन विभाग के कार्यालय के पास गिरा. कई भयभीत निवासी सुरक्षित क्षेत्रों की तलाश में अपने घरों से भागने लगे. पुंछ से अपने निजी वाहन से बाहार निकले मकबूल अहमद ने कहा, “हम अपने परिवार को लेकर किसी सुरक्षित जगह पर जा रहे हैं. चारों ओर डर का माहौल है.” घटना से संबंधित कई वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए हैं, जिनमें तबाही के मंजर ने लोगों को झकझोरकर रख दिया है.

दमकल विभाग की टीमों को घटनास्थलों पर भेजा गया है, ताकि तोप के गोलों से लगी आग को बुझाया जा सके. स्थानीय प्रशासन राहत कार्य में जुटी हुई है, लेकिन इलाके में तनाव बना हुआ है और रुक-रुककर अब भी गोलाबारी हो रही है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक एजाज जान ने कहा, “स्थिति चिंताजनक है. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला खुद हालात पर नजर बनाए हुए हैं.” जम्मू-कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिदेशक एस.पी. वैद ने पाकिस्तानी गोलाबारी की निंदा की.

उन्होंने पहलगाम हत्याकांड का बदला लेने के अपने वादे को निभाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना करते हुए कहा, “भारतीय सुरक्षा बलों ने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के मुख्यालय के आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया, जो पिछले 35 वर्षों से जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों और निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाते रहे हैं.” हालांकि, वैद ने कहा कि पाकिस्तान ने सीमा के निकट रहने वाले नागरिकों को निशाना बनाकर एक बार फिर अपनी मानसिकता उजागर कर दी है. अधिकारियों ने बताया कि भारतीय सेना पाकिस्तानी गोलाबारी का “मुंहतोड़ जवाब” दे रही है और नागरिकों की सुरक्षा उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है.

शिवा निषाद

संपादक- शिवा निषाद सरायपाली सिटी न्यूज मेन रोड, चेक पोस्ट, झिलमिला सरायपाली मो. 8871864161, 8319644944

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