Breaking News

पाकिस्तानी सेना ने जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा से सटे गांवों पर की गोलीबारी, 13 लोगों की मौत

जम्मू/श्रीनगर/अमृतसर/तरनतारन/फिरोजपुर. पाकिस्तानी सेना ने बुधवार को जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास स्थित गांवों को निशाना बनाकर भारी गोलाबारी की और मोर्टार गोले दागे जिसमें चार बच्चों एवं एक सैनिक सहित कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई और 57 अन्य घायल हो गए. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

पाकिस्तानी सेना द्वारा यह गोलाबारी भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकवादी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए जाने के बाद की गई. यह पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान की ओर से की गई भारी गोलाबारी में से एक है.

पाकिस्तान की अंधाधुंध गोलाबारी में सैकड़ों निवासियों को भूमिगत बंकरों में शरण लेने या सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. ऐसा इसलिए क्योंकि इस गोलाबारी में मकान, वाहन और एक गुरुद्वारा सहित विभिन्न इमारतें नष्ट हो गईं. इससे सबसे अधिक प्रभावित पुंछ जिले और राजौरी तथा उत्तरी कश्मीर के बारामूला और कुपवाड़ा में सीमावर्ती निवासियों में दहशत उत्पन्न हो गई.

अधिकारियों ने कहा कि भारतीय सेना गोलाबारी का मुंहतोड़ जवाब दे रही है, जिसके परिणामस्वरूप दुश्मन पक्ष के कई लोग हताहत हुए हैं, क्योंकि गोलीबारी में शामिल उनकी कई चौकियां नष्ट कर दी गई हैं. दोनों देशों के बीच 25 फरवरी, 2021 को संघर्षविराम समझौते के नवीनीकरण के बाद यह पहली बार है कि इतनी भारी गोलाबारी देखी गई है. अधिकारियों ने बताया कि सभी 13 लोगों की मौत पुंछ जिले में हुई, जबकि 42 लोग घायल भी हुए हैं, जिनमें से दो की हालत गंभीर बताई गई है.

उन्होंने बताया कि पुंछ में नियंत्रण रेखा के पास बालाकोट, मेंढर, मनकोट, कृष्णा घाटी, गुलपुर, केरनी और यहां तक ??कि पुंछ जिला मुख्यालय से भी गोलाबारी की सूचना है, जिसके परिणामस्वरूप दर्जनों आवासीय मकानों और वाहनों को नुकसान पहुंचा है. अधिकारियों ने बताया कि सीमा पार से गोलाबारी दोपहर तक तेज रही और बाद में रुक-रुक कर जारी रही, जो अगले कुछ घंटे तक ज़्यादातर पुंछ सेक्टर तक ही सीमित रही. अधिकारियों ने बताया कि भारी गोलाबारी के कारण स्थानीय लोगों को पीड़ितों को अस्पताल पहुंचाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. उन्होंने बताया कि गोलाबारी में पुंछ बस स्टैंड भी क्षतिग्रस्त हो गया और कई बसें क्षतिग्रस्त हो गईं.

उन्होंने बताया कि पुंछ नगर में एक गुरुद्वारा और आस-पास के मकानों पर तोप का गोला गिरने से तीन सिखों की मौत हो गई. पंजाब की कई पार्टियों ने इस घटना की निंदा की है. शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”पुंछ में पवित्र केंद्रीय गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा साहिब पर पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए अमानवीय हमले की कड़ी निंदा करता हूं, जिसमें भाई अमरीक सिंह जी (एक रागी सिंह), भाई अमरजीत सिंह और भाई रणजीत सिंह सहित तीन निर्दोष गुरसिखों की जान चली गई.” अधिकारियों ने बताया कि बारामूला जिले के उरी सेक्टर में सीमा पार से हुई गोलाबारी में पांच बच्चों समेत 10 लोग घायल हो गए जबकि राजौरी जिले में तीन अन्य घायल हो गए. उन्होंने बताया कि कुपवाड़ा जिले के करनाह सेक्टर में गोलाबारी के कारण कई घरों में आग लग गई.

अधिकारियों ने मृतकों की पहचान बलविंदर कौर उर्फ ??”रूबी” (33), मोहम्मद जैन खान (10), उसकी बड़ी बहन जोया खान (12), मोहम्मद अकरम (40), अमरीक सिंह (55), मोहम्मद इकबाल (45), रणजीत सिंह (48), शकीला बी (40), अमरजीत सिंह (47), मरियम खातून (7), विहान भार्गव (13) एवं मोहम्मद रफी (40) और सेना के एक लांस नायक के रूप में की है.

पहलगाम हमले के बाद बढ.े तनाव के बीच जम्मू कश्मीर में सीमा पर बिना उकसावे के गोलीबारी की यह लगातार 13वीं रात थी.
इससे पहले, एक रक्षा प्रवक्ता ने कहा था कि 6 और 7 मई की दरमियानी रात्रि के दौरान, पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा और जम्मू कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार स्थित चौकियों से तोपखाने के जरिये गोलाबारी की. उन्होंने बताया था कि भारतीय सेना गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब दे रही है. सेना के सूत्रों ने बताया कि जवाबी कार्रवाई में भारतीय सैनिकों ने दुश्मन सेना की कई चौकियां नष्ट कर दीं और उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया जिसके उसके कई हताहत हुए हैं.

अधिकारियों ने बुधवार को जम्मू क्षेत्र के पांच सीमावर्ती जिलों में सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया था. 25 फरवरी, 2021 को भारत और पाकिस्तान द्वारा संघर्षविराम समझौते को नवीनीकृत करने के बाद संघर्षविराम उल्लंघन बहुत कम हुआ है. एकजुटता के संकेत के रूप में, राजौरी के कांग्रेस विधायक इफ्तखार अहमद ने राजौरी के जीएमसी अस्पताल में इलाज करा रहे घायलों से मिलने के बाद अपने समर्थकों के साथ रक्तदान किया.

अहमद ने लोगों से आगे आकर रक्तदान करने की अपील की और इस महत्वपूर्ण समय में चिकित्सा प्रयासों का समर्थन करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा, ”हम देश की अखंडता और संप्रभुता के लिए सब कुछ बलिदान करने के लिए तैयार हैं. राष्ट्र सबसे पहले आता है और हमें अपने रास्ते में आने वाली किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए एकजुट होना चाहिए.” जीएमसी राजौरी के प्रिंसिपल अमरजीत सिंह भाटिया ने कहा कि सीमा पर झड़पों और बढ.ते तनाव के मद्देनजर अस्पताल स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है.

उन्होंने कहा, “मरीजों के लिए सर्वोत्तम उपचार सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की गई हैं.” पुंछ जिले के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने पाकिस्तानी गोलाबारी से प्रभावित अग्रिम गांवों से स्थानांतरित होने के इच्छुक लोगों के लिए पर्याप्त सुविधाओं के साथ नौ सार्वजनिक आश्रय शिविर निर्धारित किए हैं.

अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास जोरियन गांव के निवासी लियाकत अली ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ”हालांकि हमारे गांव में सीमापार से कोई गोलीबारी नहीं हुई है, लेकिन हमें आरएस पुरा में आईटीआई कॉलेज में स्थानांतरित होने के लिए कहा गया है, जहां मौजूदा तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए सरकार ने हमारे ठहरने के लिए आवश्यक व्यवस्था की है.” अली ने कहा कि अतीत में गांव को बहुत नुकसान हुआ है और पाकिस्तानी गोलाबारी से यह गांव जलकर राख हो गया था. सीमापार से भारी गोलाबारी भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमला करने के तुरंत बाद शुरू हुई. यह हमला 22 अप्रैल को दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला लेने के लिए किया गया था, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे.

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पंजाब के कुछ सीमावर्ती गांवों के लोगों ने सुरक्षित स्थानों का रुख किया

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ.ते तनाव के बीच पंजाब के फिरोजपुर जिले के कुछ सीमावर्ती गांवों के लोगों ने सुरक्षित स्थानों पर शरण लेना शुरू कर दिया है. हालांकि पाकिस्तान से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित अमृतसर व तरनतारन के गांवों में स्थिति शांत है और लोग रोजमर्रा के अपने काम करते नजर आए.

भारतीय सशस्त्र बलों ने पहलगाम आतंकी हमले के दो सप्ताह बाद सख्त जवाबी कार्रवाई करते हुए मंगलवार देर रात पाकिस्तान और इसके कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किये, जिनमें आतंकवादी समूहों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के गढ. भी शामिल हैं.

फिरोजपुर के ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने अपना सामान स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है, हालांकि सीमा सुरक्षा बल, भारतीय सेना या किसी भी सरकारी एजेंसी ने इस संबंध में कोई आदेश नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि सुरक्षित स्थानों पर जाने का निर्णय उन्होंने स्वंय लिया है, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए.

फिरोजपुर के टेंडी वाला, कालू वाला, गट्टी राजो के, झुग्गे हजारा, नवी गट्टी राजो के, गट्टी रहीमे के, चांडीवाला, बस्ती भानेवाली, जल्लो गांव के लोग सुरक्षित स्थानों पर जाकर शरण ले रहे हैं. ममदोट क्षेत्र के गांव बबम्मा हाजी निवासी कक्कू सिंह (63) ने बताया कि वह कालू वाला में विवाहित अपनी दो बेटियों से मिलने आए थे. उल्लेखनीय है कि कालू वाला गांव तीन तरफ से सतलुज नदी से तथा चौथी तरफ से पाकिस्तान से घिरा हुआ है.

कक्कू सिंह ने कहा, ”सुबह-सुबह जब मैंने भारत की कार्रवाई की खबर सुनी तो मुझे अपनी बेटी और उनके परिवार की चिंता हुई. अब मैं यहां सिर्फ उनसे मिलने ही नहीं आया हूं बल्कि यह भी सुनिश्चित करना चाहता हूं कि जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती तो वे मेरे साथ मेरे गांव चलें.” टेंडी वाला गांव की बुजुर्ग महिला पाछो बाई (58) अपनी बहू के साथ कपड़े बांध रही थीं. बाई ने कहा कि उन्हें चिंता हो रही है क्योंकि उनका घर अंतरराष्ट्रीय सीमा से सिर्फ दो किमी दूर है.

उन्होंने कहा, ”हमारे परिवार में छह लोग हैं. मेरा पति और बेटा अभी काम पर गए हैं, लेकिन हम जल्द ही किसी रिश्तेदार के घर जाने के बारे में सोच रहे हैं. इसलिए मैं सामान बांध रही हूं.” कुछ ग्रामीण अपना सामान जैसे बिस्तर, कूलर, वाशिंग मशीन, फ्रिज, अनाज रखने वाले ‘कंटेनर’ ट्रैक्टर ट्रॉलियों पर लादकर अपने रिश्तेदारों के पास ले जाते हुए नजर आए. हालांकि, कई ग्रामीण ऐसे भी हैं जो दोनों पड़ोसी देशों के बीच तनावपूर्ण स्थिति के बावजूद अपना हौसला बनाए हुए हैं. टेंडी वाला गांव के सुरजीत सिंह ने कहा कि उन्हें भारतीय सेना पर गर्व है.

फिरोजपुर की उपायुक्त दीपशिखा शर्मा ने बुधवार को कहा कि जिले में अभी तक घबराने की कोई बात नहीं है. उन्होंने कहा कि न तो सेना और न ही जिला प्रशासन ने सीमावर्ती गांवों को खाली कराने के लिए कोई निर्देश जारी किया है तथा उन्होंने आश्वासन दिया कि पूरा प्रशासन पूरी तरह सतर्क और तैयार है. अमृतसर और तरनतारन जिलों के सीमावर्ती गांवों में स्थिति शांत है.

तरनतारन के सीमावर्ती गांव चिन्ना बिधि चंद के निवासी गुरमीत सिंह ने बताया कि गांव में किसी तरह की दहशत नहीं है. स्कूल बंद होने के कारण बच्चे अपने घरों में हैं. तरनतारन के सीमावर्ती गांव नौशहरा ढल्ला के रहने वाले सुच्चा सिंह ने कहा कि लोग अपने रोजमर्रा के कामों में व्यस्त हैं और किसान अपने खेतों में काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि किसी भी सरकारी अधिकारी ने लोगों को उनके घरों को छोड़ने या सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए नहीं कहा है.

तरनतारन जिले के सीमावर्ती गांव के एक अन्य ग्रामीण ने कहा कि किसी ने उन्हें घर छोड़ने के लिए नहीं कहा. ग्रामीण ने कहा, ”गांव में स्थिति शांतिपूर्ण है.” अमृतसर जिले के अटारी, महावा, पुल मोहरा और भिखविंड के सीमावर्ती गांवों में भी स्थिति शांत नजर आई. अटारी में एक ग्रामीण ने बताया कि उन्हें दूसरी जगहों से रिश्तेदारों के फोन आ रहे हैं और वे स्थिति के बारे में जानना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि स्थिति शांतिपूर्ण है और वे बिल्कुल भी डरे हुए नहीं हैं.

हालांकि, जिन किसानों के खेत कंटीले तारों वाली बाड़ से परे हैं, उन्हें अपने खेतों में जाने की अनुमति नहीं दी गई है, क्योंकि अमृतसर और तरनतारन जिलों की सभी सीमाओं (भारत-पाकिस्तान से जुड़ी सीमा) पर गेट बंद हैं. इस बीच, लोग अपने वाहनों में ईंधन भरवाने के लिए पेट्रोल पंप पर कतारों में खड़े हुए नजर आए.

अमृतसर हवाई अड्डे के निदेशक ने लिखित रूप से बताया कि सभी वाणिज्यिक/नागरिक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ान परिचालन 10 मई सुबह 5.30 बजे तक निलंबित कर दिये गये हैं. अमृतसर में उपायुक्त के आदेश पर सभी शिक्षण संस्थान बंद रहे. इसी बीच, लोग अपने वाहनों में ईंधन भरवाने के लिए पेट्रोल पंप पर कतारों में खड़े हुए नजर आए.

शिवा निषाद

संपादक- शिवा निषाद सरायपाली सिटी न्यूज मेन रोड, चेक पोस्ट, झिलमिला सरायपाली मो. 8871864161, 8319644944

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button