सीआरपीएफ ने छत्तीसगढ़ के माओवादियों के गढ़ में स्थापित किया नया अभियान शिविर


रायपुर/नयी दिल्ली. केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर में माओवादियों के दबदबे वाले क्षेत्र में एक नया अभियान शिविर स्थापित किया है. राज्य के वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के उद्देश्य से सीआरपीएफ ने यह शिविर स्थापित किया है.
अधिकारियों ने कहा कि 13 फरवरी को बल की 196वीं और 205वीं कोबरा बटालियन ने क्षेत्र में और उसके आसपास तैनात अर्धसैनिक बल की विभिन्न अन्य इकाइयों की सहायता से बीजापुर जिले के ‘पुजारी कांकेर’ में अग्रिम अभियान शिविर स्थापित किया. अधिकारियों ने कहा कि अग्रिम अभियान शिविर (एफओबी) जिस सुदूर क्षेत्र में स्थापित किया गया है, वह पहाड़ियों से घिरा हुआ है और वहां दक्षिण व पश्चिम बस्तर डिविजनों के माओवादियों के प्रशिक्षण शिविर, हथियार व गोला-बारूद ठिकाने और राशन इकाइयां हैं.
सीआरपीएफ की कोबरा इकाई का एक कमांडो इस एफओबी के निर्माण के दौरान एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) विस्फोट में घायल हो गया था. क्षेत्र में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि यह एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है, क्योंकि यहां सशस्त्र माओवादी कार्यकर्ताओं की पहली बटालियन का संचालन केंद्र है.
उन्होंने कहा कि अपने मारे गए कार्यकर्ताओं की याद में माओवादियों द्वारा बनाए गए एक ऊंचे लाल रंग के स्मारक को सीआरपीएफ ने एक भारी मशीन की सहायता से ध्वस्त कर दिया. अधिकारी ने कहा कि यह शिविर इस कड़ी में 13वां शिविर है. उन्होने कहा कि ये शिविर मार्च 2026 तक देश से वामपंथी उग्रवाद के खतरे को समाप्त करने की केंद्र सरकार की घोषणा के तहत बनाए जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि माओवादियों के वार्षिक सामरिक जवाबी अभियान (टीसीओसी) के शुरू होने से पहले कुछ और शिविर बनाए जाएंगे.
अधिकारी ने कहा कि नक्सली गर्मी में सुरक्षा बलों पर हमलों के लिए अभियान शुरू करते हैं, क्योंकि उस समय जंगल सूख जाते हैं और पेड़ों के पत्ते झड़ जाते हैं, जिससे दूर तक का दृश्य दिखाई देता है.