Breaking News

कर्नाटक के बेलगावी में कर्नल सोफिया कुरैशी का घर बना देशभक्ति का प्रतीक

बेलागावी/नयी दिल्ली. कर्नाटक के बेलागावी जिले के कोन्नूर गांव में मोहम्मद गौस सब बागेवाड़ी का घर राष्ट्रीय गौरव का केंद्र बन गया है, जहां आगंतुकों और शुभचिंतकों का तांता लगा हुआ है, वजह है कि उनकी पुत्रवधू कर्नल सोफिया कुरैशी पहलगाम आतंकवादी हमले का बदला लेने के लिए चलाए गए भारतीय सशस्त्र बलों के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में टीवी पर जानकारी देने के लिए आई थीं.

कर्नल कुरैशी गौस सब बागेवाड़ी के बेटे ताजुद्दीन बागेवाड़ी की पत्नी हैं. उन्हें आसियान प्लस बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास ‘फोर्स 18’ में सैन्य दल का नेतृत्व करने वाली पहली भारतीय महिला अधिकारी होने का गौरव प्राप्त है. कर्नल कुरैशी जम्मू में तैनात हैं जबकि उनके पति झांसी में कार्यरत हैं.

गौस सब बागेवाड़ी ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान गर्व व्यक्त करते हुए कहा, “मुझे कल दोपहर को पता चला. जब मैंने उन्हें (सोफिया कुरैशी) टीवी पर देखा तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. सुबह से ही लोग हमें बधाई देने के लिए हमारे घर आ रहे हैं.” उन्होंने बृहस्पतिवार को अपने बेटे से बात करने का जिक्र किया, लेकिन बहू से बात करने का मौका नहीं मिल सका. बागेवाड़ी के अनुसार, बुधवार को जब कर्नल कुरैशी टेलीविजन पर दिखाई दीं तो उनके घर में उत्सव का माहौल बन गया. उन्होंने कहा, “यह ईद जैसा जश्न था. हमारे सभी रिश्तेदार और दोस्त हमारे घर आकर हमसे मिल रहे हैं.” समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों की भारी भीड़ उनके आवास के बाहर एकत्र हुई और ‘हिंदुस्तान जिंदाबाद’ व ‘जय हिंद’ के नारे लगाए.

पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए बागेवाड़ी ने कहा, “जिन आतंकवादियों ने निर्दोष लोगों का धर्म पूछकर उन्हें गोली मार दी, उनमें मानवता नहीं है. वे शैतान हैं. अल्लाह भी उन्हें माफ नहीं करेगा. उन्हें अपने कर्मों की सजा यहीं मिलेगी.” पड़ोसी देश के बारे में उन्होंने कहा, “पाकिस्तान एक राक्षस है. यह कभी सामने से हमला नहीं करता. यह हमेशा पीछे से निशाना बनाता है.” बागेवाड़ी ने अपने इलाके में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व पर जोर दिया, जहां मराठों समेत विभिन्न समुदायों के लोग रहते हैं.

उन्होंने कहा, “मेरे सभी पड़ोसी यह देखकर गौरवान्वित हैं कि मेरे बच्चे सेना में सेवाएं दे रहे हैं. वे बेहद खुश थे. उन्होंने मुझे आमंत्रित किया और मेरा सम्मान किया. हम यहां एक परिवार की तरह रह रहे हैं.” उन्होंने उम्मीद जताई कि उनके बच्चे देश के लिए लड़ते रहेंगे और अपने कर्तव्य से कभी पीछे नहीं हटेंगे.

…जब न्यायालय ने कर्नल सोफिया की तारीफ की थी
उच्चतम न्यायालय ने 2020 में भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन (पीसी) देने के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कर्नल सोफिया कुरैशी की उपलब्धियों को सराहा था, जो बुधवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर मीडिया को जानकारी देने वाली दो महिला अधिकारियों में शामिल थीं.

उच्चतम न्यायालय ने गत 17 फरवरी, 2020 को अपने फैसले में कहा था कि सेना में ‘स्टाफ असाइनमेंट’ को छोड़कर सभी पदों से महिलाओं को पूरी तरह से बाहर रखे जाने का समर्थन नहीं किया जा सकता और बिना किसी औचित्य के कमांड नियुक्तियों के लिए उन पर पूरी तरह से विचार नहीं किया जाना कानून सम्मत नहीं हो सकता.

सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन (पीसी) की अनुमति देने वाली शीर्ष अदालत ने कहा था कि महिला शॉर्ट र्सिवस कमीशन (एसएससी) अधिकारियों को स्टाफ नियुक्तियों के अलावा कुछ भी प्राप्त करने पर पूर्ण प्रतिबंध स्पष्ट रूप से सेना में करियर में उन्नति के साधन के रूप में स्थायी कमीशन दिए जाने के उद्देश्य को पूरा नहीं करता है. शीर्ष अदालत ने महिला अधिकारियों द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों का भी उल्लेख किया और कर्नल कुरैशी की उपलब्धियों का उदाहरण दिया.

शीर्ष अदालत ने कहा था, ”लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी (आर्मी सिग्नल कोर) ‘एक्सरसाइज फोर्स 18′ नामक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला हैं, जो भारत द्वारा आयोजित अब तक का सबसे बड़ा विदेशी सैन्य अभ्यास है.” न्यायालय ने कहा था, ”उन्होंने 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षण अभियान में काम किया है, जहां वह अन्य लोगों के साथ युद्ध विराम की निगरानी और मानवीय गतिविधियों में सहायता मामलों की प्रभारी थीं. उनका काम संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करना था.” इस मामले में केंद्र के हलफनामे पर गौर करते हुए न्यायालय ने कहा था कि जवाबी हलफनामे में महिला एसएससी अधिकारियों द्वारा राष्ट्र के लिए अपने पुरुष समकक्षों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हुए दी गई सेवाओं का विस्तृत विवरण है.

शीर्ष अदालत ने कहा, ”फिर भी, इस भूमिका को इस न्यायालय के समक्ष बार-बार दी जा रहीं इन दलीलों से कमजोर करने की कोशिश की जा रही है कि महिलाओं की जैविक संरचना और सामाजिक परिवेश की प्रकृति के कारण, उनके पुरुष समकक्षों की तुलना में उनकी भूमिका कम महत्वपूर्ण है.” सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था, ”इस तरह का रवैया परेशान करने वाला है क्योंकि यह उन संवैधानिक मूल्यों की अनदेखी करता है, जिन्हें बनाए रखना और बढ़ावा देना देश की हर संस्था का कर्तव्य है. भारतीय सेना की महिला अधिकारियों ने सेना को गौरवान्वित किया है.’

शिवा निषाद

संपादक- शिवा निषाद सरायपाली सिटी न्यूज मेन रोड, चेक पोस्ट, झिलमिला सरायपाली मो. 8871864161, 8319644944

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button