सोमवार 26 मई 2025: जानिए आपके लिए कैसा रहेगा आज का दिन

मेष- बिखरे काम को समेटने में सफलता मिलेगी, जानबूझकद सहकर्मी नुकसान पहुचाने का प्रयत्न करेंगे, पारिवारिक कार्यो में व्यस्तता रहेगी, जल्दबाजी न करें.
वृषभ- समय पर मदद न मिलने से परेशानी होगी, भावनाओं में बहकर महत्वपूर्ण निर्णय न करें, श्रम एवं प्रयास करने से इच्छित सफलता मिलेगी, निजी पुरूषार्थ बना रहेगा.
मिथुन- विपरीत परिस्थिति में समझौता करना लाभकारी रहेगा, रोजगार सम्बन्धी कार्यो में व्यस्तता रहेगी, महत्वपूर्ण उपलब्धि मिलेगी, संपत्ति वाहन, का सुख रहेगा, प्रयास सार्थक होगा.
कर्क- पुराना विवाद हल होगा, तीखी बातों से करीबी नाराज हो सकते हैं, शिक्षा संतान कार्यो में सफलता मिलेगी, निजी कार्यो में व्यस्तता रहेगी.
सिंह- अधिक भागदौड़ से स्वास्थ्य प्रभावित होगा, कानूनी मामले सुलझने के आसार हैं, नौकरी में अधिकारियों का सहयोग रहेगा, दूर दराज की यात्रा होगी.
कन्या- भाग्य से लाभदायक अवसर हाथ में आ सकते हैं, कैरियर में बेहतर प्रस्ताव मिलेंगे, शारीरिक कष्ट, मानसिक परेशानी होगी, प्रियजनों का सहयोग रहेगा.
तुला- विरोधी नीचा दिखाने की कोशिश करेंगे, अपनों के स्वास्थ्य की चिन्ता होगी, खर्च अधिक होगा, स्वजनों से संतुलित संभाषण हितकर रहेगा, शुभ संदेश रहेगा.
वृश्चिक- न्यायालयीन मामलों में सफलता मिलेगी, रक्त संबंधियों से मतभेद होगा, सामाजिक कार्य में सफलता, यश, सम्मान प्राप्त होने का योग है.
धनु- नौकरी में अधिकारियों का सहयोग रहेगा, कारोबारीदूर दराज की यात्रा होगी, खर्च अधिक होगा, अतिथि आगमन का योग है.
मकर- धार्मिक आयोजन में शामिल होकर खुशी होगी, परिचितों के कारण कामकाज में परेशानी होगी, आकस्मिक धन प्राप्त होगा, लाभदायक योजनाओं का विकास होगा.
कुम्भ- अधिकारी नाराज हो सकते हैं, गुप्त शत्रुओं के अवरोध के कारण दैनिक कार्य संपादन में परेशानी होगी, खर्च की अधिकता रहेगी.
मीन- बुजुर्गो के स्वास्थ्य की चिन्ता रहेगी, मित्रों से विवाद की संभावना है, व्यापार में उत्तम सफलता मिलेगी, जीवनसाथी के सहयोग से कार्य बनेगा.
आज जन्म लिये बालक का फल:-
आज जन्म लिया बालक दुबला पतला, स्वतंत्र विचारों का सहिष्णु एवं सहयोगी भावना वाला होगा, इनमें क्रोध को नियंत्रण करने की क्षमता रहेगी, स्वयं हानि उठाकर दूसरों को लाभ पहंुचाने वाला होगा.
आज जिनका जन्म दिन है, उनका आगामी वर्ष:-
वर्ष के प्रारंभ मेंशिक्षा प्रतियोगिता के क्षेत्र में सफलता मिलेगी, आकस्मिक धन लाभ का योग है, वर्ष के मध्य में व्यापार में लाभ प्राप्त होगा, शासन सत्ता का सुख प्राप्त होगा, वर्ष के अन्त में शारीरिक कष्ट होगा, मित्रों से व्यर्थ विवाद होगा, स्थानान्तरण का योग है, मानसिक तनाव में वृद्धि होगी. मेष और वृश्चिक राशि के व्यक्तियों को शारीरिक कष्ट होगा, वृष और तुला राशि के व्यक्तियों को व्यर्थ में मित्रों का विवाद हो सकता है, कर्क राशि के व्यक्तियों का शासन सत्ता का सुख प्राप्त होगा, मिथुन और कन्या राशि के व्यक्तियों को आकस्मिक धन प्राप्त होगा, धनु और मीन राशि के व्यक्तियों को मानसिक तनाव रह सकता है, स्थान परिवर्तन का योग है, सिंह राशि के व्यक्तियों को राजकीय सहयोग मिलेगा, मकर और कंुभ राशि के व्यक्तियों को लाभ प्राप्त होगा.
व्यापार भविष्य:-
ज्येष्ठ कृष्ण चर्तुदशी को भरणी नक्षत्र के प्रभाव से गुड़, खांड़, शक्कर, जूट, पाट, बारदाना, में मंदी होगी, गेहॅू, जौ, चना, बाजरा, उड़द, मॅूग, मोठ, में तेजी होगी, जिस वस्तु में पिछले दिन के भाव बढे़ उसी में मार्केट टूटेगी. भाग्यांक 1409 हैं.
पंचांग:-
रा.मि. 05 संवत् 2082 ज्येष्ठ कृष्ण चर्तुदशी चन्द्रवासरे दिन 10/54, भरणी नक्षत्रे दिन 7/19, शोभन योगे प्रातः 6/16 तदुपरि अतिगण्ड योगे रात 3/15, शकुनि करणे सू.उ. 5/18 सू.अ. 6/42, चन्द्रचार मेष दिन 12/55 से वृषभ, शु.रा. 1,3,4,7,8,11 अ.रा. 2,5,6,9,10,12 शुभांक- 3,5,9.
वटसावित्री व्रत (ता. 26 मई को):-
वटसावित्री व्रत के दो विधान हैं, कहीं कहीं ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावास्या को वटसावित्री व्रत का पूजन किया जाता है, और कहीं कहीं ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को वटसावित्री व्रत का पूजन होता है. स्थान देश के अन्तर्गत अलग अलग प्रकार से पूजन होता है. वट देव वृष है, वट वृक्ष के मध्य में भगवान ब्रम्हां मध्य में जनार्दन, विष्णु तथा उग्र भाग में देवाधिदेव महादेव विराजमान रहते हैं, देवी सावित्री भी घट वृक्ष में प्रतिष्ठित व्रत का पूजन होता है. स्थान भेद के अन्र्तगत अलग अलग प्रकार से पूजन होता है. इसके संबंध में इस तरह कहा गया है– यथा:-
.. वटमूलेस्थितो ब्रम्हांः, वटमध्यम जनार्दनः.
वटागेतु शिणो देवः,सावित्री वटसंश्रितः..
इसी वट वृक्ष के पत्र पुटक पर प्रलय के अंतिम चरण में भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप में मार्केण्डेय ऋषि को प्रथम दर्शन दिये थे, प्रयागराज में गंगाजी के तट पर वेणी माधव के निकट अक्षय वृक्ष प्रतिष्ठित है. भक्त शिरोमणि तुलसीदासजी ने संगम स्थित इस अक्षय वृक्ष को तीर्थराज का छत्र कहा है, यथा —
.. सुगम सिंघासुनसुखि मोहः, छत्रु अक्षयवट् मुनिमन मोहा ..
इसी प्रकार तीर्थो में पंचवटी का भी विशेष महत्व है, पांच वटों से युक्त स्थान को पंचवटी कहा गया है, कंुभ जमुनि के परामर्श से भगवान रीराम ने सीता एवं लक्षमण के साथ वनवास काल में निवास किया था, हानिकारक गैसों को नष्ट कर वातावरण को शु़द्ध करने में वटवृक्ष का विशेष महत्व है. जैसे वटवृक्ष दीर्धकाल तक अक्षय बना रहता है, इसी प्रकार दीर्धायु अक्षय और सौहार्द्र और निरंतर अभ्युदय की प्राप्ति के लिये वटवृक्ष की आराधना की जाती है, इसी वृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने पतिव्रत से मृत पति को पुनः जीवित किया था, तभी से यह व्रत वटसावित्री के नाम से किया जाता है. वट की परिक्रमा करते समय 108 बार अथवा यथा शक्ति सूत लपेटा जाता है, वृक्ष को सिंचित करते समय प्रार्थना करते हैं, और आशीर्वाद लेते है.
मुख्य व्रत-त्यौहार एवं जयंती दिवस:-
सोम ता. 26 वटसावित्री अमावस्या, वट पूजन, श्राद्ध अमावस्या