कांग्रेस डिजिटल धोखाधड़ी के आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखा लोगों में पैदा कर रही घबराहट

नयी दिल्ली. मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस लोगों में घबराहट पैदा करने के लिए डिजिटल बैंकिंग धोखाधड़ी के आंकड़ों को दुर्भावनापूर्ण तरीके से बढ़ा-चढ़ाकर बता रही है. सरकारी सूत्रों ने सोमवार को यह बात कही . उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने रविवार को को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर ‘जनता की गाढ़ी कमाई बचाने में मोदी सरकार विफल’ शीर्षक से जारी एक पोस्ट में कहा कि देश में लगातार नरेन्द्र मोदी सरकार में डिजिटल बैंकिंग भुगतान में धोखाधड़ी के मामले बढ़े है.
इसमें कहा गया, ”मोदी सरकार के पिछले 11 साल के कार्यकाल में 1,25,828 धोखाधड़ी के मामले दर्ज हुए हैं, जिसमें कुल 6,36,992 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है. हालांकि, सूत्रों ने कहा कि तथ्य कुछ और ही बयां करते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, डिजिटल धोखाधड़ी के जरिए ठगी गई राशि कांग्रेस के दावे से काफी कम है.
हाल में लोकसभा में एक सवाल के जवाब में सरकार ने कहा था कि 2014-15 से दिसंबर, 2024 के बीच ‘कार्ड/इंटरनेट और डिजिटल भुगतान’ (1 लाख रुपये और उससे अधिक की राशि के लिए) के तहत वाणिज्यिक बैंकों और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों द्वारा रिपोर्ट किए गए ‘डिजिटल भुगतान धोखाधड़ी’ के कुल मामलों की संख्या 63,315 थी.
सूत्रों ने कहा, ”तथ्य यह है कि आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, इस पूरी अवधि के दौरान विशेष रूप से ‘डिजिटल भुगतान धोखाधड़ी’ के कारण कुल वित्तीय नुकसान 733.26 करोड़ रुपये था.” ये आधिकारिक आंकड़े कांग्रेस के उस गलत बयान की तुलना में बहुत अलग तस्वीर पेश करते हैं, जिसमें डिजिटल भुगतान क्षेत्र में ‘लाखों करोड़’ का नुकसान होने का अनुमान लगाया गया था.
सूत्रों ने कहा कि ऐसे बड़े आंकड़े आमतौर पर कई वर्षों में सभी श्रेणियों में बैंकिंग धोखाधड़ी से हुए नुकसान को बताते हैं, न कि केवल डिजिटल खंड में. कांग्रेस कुल बैंक धोखाधड़ी को लेकर लोगों को भ्रमित कर रही है. यह एक व्यापक श्रेणी है, जिसमें अग्रिम, जमा, विदेशी मुद्रा लेनदेन, नकदी प्रबंधन, चेक आदि से संबंधित मुद्दों सहित विभिन्न प्रकार की अवैध गतिविधियां शामिल हैं.
सूत्रों ने कहा, ”प्रमुख विपक्षी दल घबराहट पैदा करने के लिए दुर्भावनापूर्ण तरीके से आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहा है और यह पूरी तरह से भय पैदा करने वाला है और बैंकिंग क्षेत्र की मजबूती के बारे में संदेह पैदा कर रहा है. उनका दावा पूरी तरह से गलत और गुमराह करने वाला है.” वित्त मंत्रालय ने आरबीआई और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के साथ मिलकर डिजिटल वित्तीय लेनदेन को सुरक्षित करने और धोखाधड़ी से निपटने के लिए कई उपाय किए हैं.
एनपीसीआई ने यूपीआई लेनदेन को सुरक्षित करने के लिए कई सुरक्षा सुविधाएं शुरू की हैं, जिनमें ग्राहक के मोबाइल नंबर और डिवाइस के बीच ‘डिवाइस बाइंडिंग’, पिन के माध्यम से दो स्तरीय प्रमाणीकरण, दैनिक लेनदेन सीमा निर्धारित करना आदि शामिल है.
आरबीआई ने ‘मनी म्यूल’ खातों (धोखाधड़ी के लिए उपयोग किये जाने वाले खातों) की पहचान करने और बैंकों और वित्तीय संस्थानों को इसके इस्तेमाल के बारे में सलाह देने के लिए ‘म्यूलहंटर’ नाम से एक कृत्रिम मेधा (एआई) आधारित व्यवस्था भी शुरू की है.
इन उपायों की वजह से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में धोखाधड़ी में शामिल राशि में उल्लेखनीय कमी आई है. यह वित्त वर्ष 2019-20 के 21,626 करोड़ रुपये से घटकर वित्त वर्ष 2023-24 में 2,224 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2024-25 (दिसंबर 2024 तक) में 232 करोड़ रुपये रह गई है. इस तरह की धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए, गृह मंत्रालय ने जनवरी, 2020 में भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) की स्थापना की, जो सभी साइबर अपराधों के लिए समन्वित कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय एजेंसी है.