भारत से इस्पात, एल्युमीनियम आयात पर शुल्क लगाना रक्षोपाय नहीं: अमेरिका

नयी दिल्ली. अमेरिका ने इस्पात और एल्युमीनियम के आयात पर लगाए गए शुल्क को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के तहत रक्षोपाय बताने वाले भारत के दावे को खारिज कर दिया है. अमेरिका ने एक पत्र में कहा है कि इस्पात एवं एल्युमीनियम पर शुल्क राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से धारा 232 के तहत लगाए गए हैं. भारत ने रक्षोपाय पर समझौते के तहत दी गई रियायतों को निलंबित करने का प्रस्ताव रखा था.
भारत ने नौ मई को डब्ल्यूटीओ को सूचित किया था कि उसने बहुपक्षीय संगठन के मानकों के तहत इस्पात और एल्युमीनियम पर लगाए अमेरिकी शुल्क के जवाब में कुछ अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क लगाने का अपना अधिकार सुरक्षित रखा है. अमेरिका ने 23 मई को जारी अपने पत्र में कहा, ”ये कार्रवाइयां रक्षोपाय नहीं हैं. ऐसे में इन उपायों के संबंध में सुरक्षा उपाय समझौते के तहत रियायतों या अन्य दायित्वों को निलंबित करने के भारत के प्रस्ताव का कोई आधार नहीं है.” अमेरिका ने यह भी कहा है कि भारत ने इस समझौते के तहत अपने दायित्वों का पालन नहीं किया है.
उसने कहा, ”अमेरिका रक्षोपायों पर समझौते की धारा 232 के तहत लगाए गए शुल्क पर चर्चा नहीं करेगा क्योंकि हम शुल्क को सुरक्षा उपाय के रूप में नहीं देखते हैं.” रियायतों के निलंबन का भारत ने जो प्रस्ताव रखा है, वह चुनिंदा अमेरिकी उत्पादों पर बढ़े हुए शुल्क का रूप ले सकता है. हालांकि, भारत ने अभी तक उन उत्पादों का खुलासा नहीं किया है.
भारत ने 2019 में इसी तरह के एक मामले में अमेरिका से बादाम, सेब, रसायन समेत 28 उत्पादों पर जवाबी सीमा शुल्क लगा दिया था. अमेरिकी सरकार के इस रुख पर आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि भारत के लिए एक मजबूत दृष्टिकोण यह होगा कि वह डब्ल्यूटीओ की मंजूरी के बगैर भी अपने दम पर जवाबी शुल्क लगाए. हालांकि, भारत इस मामले में तुरंत कार्रवाई नहीं करने का विकल्प चुन सकता है.
अमेरिका के शुल्क को दोगुना करने से एल्युमीनियम क्षेत्र को नुकसान होगा: उद्योग
एल्युमीनियम उद्योग के निकाय एएआई ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एल्युमीनियम आयात पर शुल्क को दोगुना करने की घोषणा से भारतीय विनिर्माताओं को नुकसान होगा. एएआई ने कहा कि उद्योग पहले ही सस्ता आयात बढ़ने के कारण दबाव में है.
ट्रंप ने 30 मई को घोषणा की थी कि वह चार जून से एल्युमीनियम आयात पर मौजूदा 25 प्रतिशत शुल्क को दोगुना कर देंगे.
भारतीय एल्युमीनियम संघ (एएआई) ने कहा, ”ट्रंप द्वारा घोषित 50 प्रतिशत शुल्क से भारतीय एल्युमीनियम उद्योग को नुकसान होगा, जो पहले से ही सस्ता आयात बढ़ने से दबाव में है.” देश के लिए इस धातु का रणनीतिक महत्व है और यह रक्षा, वैमानिकी, ऊर्जा बदलाव, दूरसंचार, बिजली और निर्माण जैसे उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण है.
एएआई ने कहा कि प्राथमिक एल्युमीनियम और खराब गुणवत्ता वाले कबाड़, दोनों ही बड़ी मात्रा में देश में आ रहे हैं, जिससे घरेलू कीमतों पर दबाव पड़ रहा है. उद्योग निकाय ने कहा कि सरकार ने कुछ इस्पात आयात पर 12 प्रतिशत का शुरुआती रक्षोपाय शुल्क की घोषणा की है, और एल्युमीनियम उद्योग के लिए भी इसी तरह का शुल्क होना चाहिए.