पेशेवर संस्थानों में हो रही आरएसएस की ‘घुसपैठ’: कांग्रेस

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) से जुड़ी कथित ‘अनियमतताओं’ का हवाला देते हुए सोमवार को आरोप लगाया कि पेशेवर संस्थानों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की व्यवस्थित ‘घुसपैठ’ हो रही है और इन्हें बर्बाद किया जा रहा है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक खबर का उल्लेख किया और आरोप लगाया कि ”घोटाले” के केंद्र में अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना (एबीआईएसवाई) नामक आरएसएस संगठन है.
मुख्य विपक्षी दल के आरोपों पर फिलहाल आईसीएचआर और एबीआईएसवाई की तरफ से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”मई, 2014 के बाद से पेशेवर संस्थानों में आरएसएस की व्यवस्थित घुसपैठ हुई है और ऐसा एक उदाहरण भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद है.” उन्होंने आरोप लगाया, ”अब इन कार्यकर्ताओं पर केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) जैसी किसी संस्था द्वारा वित्तीय कदाचार का आरोप लगाया गया है. यह 14 करोड़ रुपये का घोटाला है, जो आईसीएचआर के लिए एक बड़ी रकम है.” मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए, रमेश ने आरोप लगाया कि ”घोटाले” के केंद्र में अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना (एबीआईएसवाई) नामक आरएसएस संगठन है.
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ”आईसीएचआर अकेला नहीं है. शीर्ष विश्वविद्यालयों सहित कई प्रतिष्ठित संस्थानों को बेहद संदिग्ध शैक्षणिक साख वाले आरएसएस समर्थकों द्वारा नष्ट किया जा रहा है. हमें वास्तव में आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए क्योंकि यह संदेह बहुत ऊपर से शुरू होता है.” खबर में दावा किया गया है कि सीवीसी आईसीएचआर में 14 करोड़ रुपये के ”घोटाले” की जांच कर रही है और सरकार को एबीआईएसवाई के कुछ सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुशंसा की है.
भाजपा सरकार बेटियों के साथ नहीं, अपराधियों को बचाने में लगी है: कांग्रेस
कांग्रेस ने बिहार और कुछ अन्य राज्यों में महिला विरोधी अपराध की हालिया घटनाओं का हवाला देते हुए सोमवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार बेटियों के साथ नहीं खड़ी है, बल्कि अपराधियों को बचाने में लगी है. पार्टी की महिला इकाई की अध्यक्ष अलका लांबा ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘मन की बात’ करते हैं, लेकिन महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के बारे में कब बोलेंगे? अलका लांबा ने संवाददाताओं से कहा,”बिहार में कुशासन-काल चल रहा है. मुजफ्फरपुर में नाबालिग दलित बेटी का बलात्कार होता है, लेकिन फिर सरकार, प्रशासन, पुलिस और अस्पताल ने क्या किया? सवाल सिर्फ इस एक बच्ची का नहीं है, लाखों बच्चियां इस सरकारी सिस्टम का शिकार हो रही हैं.” उन्होंने दावा किया कि बिहार में मात्र 15 दिन के अंदर कई बच्चियों के साथ हैवानियत हुई है.
अलका ने कहा, ”बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कुशासन काल चल रहा है, इसलिए जवाबदेही भी उनकी ही है. हमारी मांग है कि बिहार सरकार इन मामलों में जवाबदेही तय करे.” उन्होंने देश में महिला विरोधी अपराधों से जुड़े मामलों की अदालती सुनवाई का ब्यौरा देते हुए कहा, ”2022 में 18,517 मामलों की सुनवाई पूरी हुई जिनमें 5,067 लोग दोषी करार दिए गए और 12,062 लोग बरी हो गए.” उनके अनुसार, वर्ष 2021 में 11,783 मामलों की सुनवाई पूरी हुई, जिनमें 3,368 लोग दोषी पाए गए और 7,745 लोग बरी कर दिए गए.
अलका ने कहा, ”नाबालिग बेटियों के बलात्कार के मामले में फांसी होनी चाहिए, लेकिन फांसी होती क्यों नहीं, हम यही पूछ रहे हैं.” उन्होंने दावा किया, ”एनसीआरबी के मुताबिक, देश में सिर्फ 410 अदालतें हैं, जो नाबालिग बच्चियों के साथ हुए अपराध की सुनवाई करती हैं, लेकिन मामले लाखों में हैं. अगर बिहार में इन मामलों की सुनवाई की जाए तो बच्चियों और उनके परिवारों को न्याय मिलने में 28 साल लगेंगे. सच्चाई यह है कि यह सरकार बेटियों के साथ नहीं खड़ी है, बल्कि अपराधियों को बचाने में लगी है. यही कारण है कि बेटियां सुरक्षित नहीं हैं और अपराधियों के हौसले बढ़ रहे हैं.”
कांग्रेस नेता गरिमा मेहरा दसौनी ने उत्तराखंड के बहुर्चिचत अंकिता भंडारी मामले का उल्लेख करते हुए कहा, ”30 मई को कोटद्वार न्यायालय ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया, जिसमें मुख्य आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. यह फैसला अधूरा है, क्योंकि न्यायालय के सामने जो सबूत रखे गए, न्यायालय ने सिर्फ उसी बिनाह पर फैसला सुनाया है, लेकिन उन सबूतों का क्या जो नष्ट कर दिए गए?” उन्होंने दावा किया कि भाजपा प्रचार के लिए इतनी भूखी है कि अंकिता भंडारी हत्याकांड का फैसला आया भी नहीं था कि एक पोस्टर जारी कर सारा श्रेय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को दे दिया. उन्होंने दावा किया कि उत्तराखंड में दुष्कर्म की कई घटनाएं हुई हैं और कई मामलों में भाजपा के नेताओं की संलिप्तता दिखाई देती है.