ईडी ने एसडीपीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष फैजी को किया गिरफ्तार

नयी दिल्ली. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन पीएफआई से जुड़े धनशोधन के एक मामले में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एम के फैजी को गिरफ्तार किया है. केंद्रीय एजेंसी ने दावा किया है कि दोनों संगठनों के बीच ”नैर्सिगक” संबंध हैं और पीएफआई अपनी आपराधिक गतिविधियों को राजनीतिक पार्टी के माध्यम से अंजाम दे रहा था.
एसडीपीआई की स्थापना 2009 में हुई थी और इसका मुख्यालय दिल्ली में है. इस पर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का राजनीतिक मोर्चा होने का आरोप लगाया जाता है, जिसे केंद्र सरकार ने सितंबर 2022 में प्रतिबंधित कर दिया था. एसडीपीआई निर्वाचन आयोग में एक राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत है. आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि मोइदीन कुट्टी फैजी (55) को सोमवार रात साढ.े नौ बजे इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (आईजीआई) हवाई अड्डे से हिरासत में लिया गया. वह केरल के कोच्चि से यहां पहुंचे थे.
सूत्रों ने बताया कि ईडी ने उनका बयान दर्ज किया और हवाई अड्डे पर उनसे मोबाइल फोन भी जब्त किया. मंगलवार को एजेंसी द्वारा पेश किए जाने के बाद विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत ने उन्हें छह दिन के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया. अधिकारियों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि ईडी को इस बात के सबूत मिले हैं कि पीएफआई के 4.07 करोड़ रुपये के कोष का इस्तेमाल एसडीपीआई द्वारा किया गया.
अधिकारियों के अनुसार, संघीय जांच एजेंसी जल्द ही निर्वाचन आयोग को पीएफआई के इन “अवैध कोष” के बारे में सूचित करेगी, जिसे एसडीपीआई को भेजने की बात सामने आयी है, जो ”अपराध की आय का प्राप्तकर्ता, लाभार्थी और उपयोगकर्ता” था. ईडी ने फैजी की हिरासत का अनुरोध करते हुए अदालत से कहा कि पीएफआई और एसडीपीआई आपस में जुड़े हुए हैं और एसडीपीआई कुछ और नहीं बल्कि पीएफआई का “राजनीतिक मोर्चा” है.
इसने दावा किया कि उसके पास यह बताने के लिए सबूत हैं कि दोनों संगठनों के बीच “गहरी” सांठगांठ है क्योंकि दोनों संगठनों में एक दूसरे के कैडर हैं. उसने दावा किया कि दोनों संगठन एकदूसरे की परिसम्पत्तियों का उपयोग करते थे. ईडी ने आरोप लगाया, ”एसडीपीआई पीएफआई का मुखौटा संगठन है और पीएफआई उसके माध्यम से अपनी राष्ट्रविरोधी और आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे रहा था, जबकि पीएफआई को एक सामाजिक कल्याण संगठन बताया गया है.” एसडीपीआई ने हालांकि इस तरह के किसी भी संबंध से इनकार किया है और खुद को एक स्वतंत्र संगठन बताया है.
एजेंसी ने अदालत को बताया कि फैजी की हिरासत “सीमा पार से धन उगाही और पीएफआई, एसडीपीआई तथा उनके संबंधित संगठनों और संस्थाओं द्वारा आपराधिक गतिविधियों में उनके उपयोग के कई पहलुओं का पता लगाने के लिए आवश्यक है.” इसने कहा कि फैजी अपराध की आय के प्राप्त करने, रखने, छिपाने और उपयोग और “चुनाव व्यय” सहित विभिन्न उद्देश्यों के लिए उनके “अंतिम उपयोग” में “सक्रिय रूप से और जानबूझकर” शामिल था, जो भारत और विदेश दोनों जगह से जुटाया गया था.
ईडी ने यह भी आरोप लगाया कि पीएफआई विधानसभा और संसदीय चुनावों के लिए उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया पर एसडीपीआई को “निर्देशित” कर रहा था. एजेंसी ने कहा कि उसने ऐसे दस्तावेज बरामद और जब्त किए हैं, जिनसे पता चलता है कि पीएफआई ”पुलिस द्वारा दर्ज आपराधिक मामलों में आरोपी एसडीपीआई सदस्यों की कानूनी फीस का भुगतान कर रहा था.” इसमें कहा गया है कि एसडीपीआई को पीएफआई द्वारा वित्तपोषित किए जाने की “आपराधिकता” इस तथ्य से भी सामने आती है कि यह वित्त पोषण “नकद” में किया गया था और इस प्रकार, उनके बैंक स्टेटमेंट में इसका उल्लेख नहीं मिलता और यह इस तरह के हस्तांतरण की “अवैध” और “गुप्त” प्रकृति को रेखांकित करता है.
ईडी के अनुसार, ऐसा धन के लेन-देन के “निशान मिटाने” के इरादे से किया गया था, ताकि एसडीपीआई आधिकारिक तौर पर पीएफआई से धन प्राप्त करने से इनकार कर सके. ईडी के अनुसार, फैजी से पिछले साल जनवरी में तीन दिनों तक पूछताछ की गई थी, लेकिन बाद में वह मार्च 2024 और 7 फरवरी, 2025 के बीच 12 समन पर पेश नहीं हुए और इसलिए एजेंसी ने स्थानीय अदालत से उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट हासिल किया.
फैजी ने पिछले साल जनवरी में ईडी द्वारा पूछताछ के दौरान कहा था कि एसडीपीआई का पीएफआई से ”कोई संबंध नहीं है” और यह (एसडीपीआई) प्रतिबंधित संगठन (पीएफआई) द्वारा वित्त पोषित नहीं है. एसडीपीआई के अनुसार, फैजी संगठन के संस्थापक नेताओं में से हैं और 2018 में उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए थे. एसडीपीआई ने अपने पोर्टल पर लिखा है कि वह एक इस्लामी विद्वान और एक राजनीतिक पर्यवेक्षक हैं जिसने 1980 के दशक में मस्जिद के इमाम के रूप में काम किया था.
जांच एजेंसियों के अधिकारियों के अनुसार, संगठन का केरल एवं कर्नाटक और कुछ अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों के विभिन्न इलाकों में ”मजबूत” प्रभाव है. ईडी ने 2022 में पीएफआई के खिलाफ अपनी जांच के तहत फैजी का संबंध केरल स्थित पीएफआई नेता अब्दुल रजाक बीपी से जोड़ा था. अब्दुल रजाक बीपी पर आरोप है कि उसने अपने (रजाक के) संगठन की धन जुटाने संबंधी गतिविधियों के तहत एसडीपीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष को दो लाख रुपये ”हस्तांतरित” किए थे.