खुद की ही लगाई आग में खाक होता पाकिस्तान

कर्ज, गरीबी,भूख और अराजकता के दलदल में फंसा पाकिस्तान अब खुद की लगाई आग में झुलस रहा है। आतंकवाद की फैक्ट्री चलाते-चलाते पाकिस्तान की हालत ये हो गई है कि एक बार फिर वह ‘भीख’ मांगता नजर आया। जैसे ही भारत ने पाकिस्तान को पहलगाम हमले का मुहंतोड़ जवाब दिया उसने तुरंत आईएमएफ से गरीबी का रोना शुरू कर दिया। लोन के लिए ट्वीट तक कर दिया, हालांकि बाद में इसे फर्जी बताया लेकिन दुनिया को ये समझना होगा कि पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली सिर्फ वैश्विक परिस्थितियों या प्राकृतिक आपदाओं की वजह से नहीं है, बल्कि यह उसकी खुद की बनाई नीतियों, विशेष रूप से आतंकवाद को पनाह देने और बढ़ावा देने की नीतियों का नतीजा है। भारत के खिलाफ दशकों से छद्म युद्ध चलाना, आतंकी संगठनों को समर्थन देना और कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर झूठ फैलाना, इन सब ने पाकिस्तान को आर्थिक और सामाजिक रूप से खोखला कर दिया है।
भारत का रुख अभी भी साफ
पाकिस्तान भले ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने हालात का रोना रोकर विक्टिम कार्ड खेलने की कोशिश कर रहा हो लेकिन भारत का रुख अभी भी साफ है कि बेशक हम शांति के पक्षधर हैं लेकिन किसी भी तरह की आतंकवादी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेंगे। भारत की तरफ से साफ कहा गया है कि तनाव खत्म तभी हो सकता है जब पाकिस्तान भी अपनी जिम्मेदारी समझे, जिसने पहलगाम की शांत घाटी में निर्दोषों की जान लेने वालों को पनाह दे रखी थी। भारत को इस बात का बखूबी अंदाजा है कि पाकिस्तान में नेताओं का कमिटमेंट कोई मायने नहीं रखता क्योंकि यहां सारे बड़े फैसले सेना ही लेती है और सेना आतंकवादियों के इशारे पर नाचती है लेकिन सवाल ये उठता है कि लगातार गीदड़ भभकी देने वाला पाकिस्तान अचानक से बैकफुट पर क्यों आ गया? और क्या वह अपनी हरकतों से बाज आ जाएगा।
क्यों बैकफ़ुट पर आया पाकिस्तान?
दरअसल पाकिस्तान को इस बार अंदाजा नहीं था कि भारत इस कदर उसे मुंहतोड़ जवाब देगा। भारतीय सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान में जितनी तेजी से मौजूद आतंकी ढांचा ढहाया पाकिस्तान के होश उड़ गए। आतंक के आकाओं को समझते देर न लगी कि भारतीय सेना के आगे उनके ‘चाइनीज खिलौने’ टिकने वाले नहीं। भारतीय सेनाओं की धमक उस रावलपिंडी तक सुनी गई, जहां पाकिस्तानी फौज का हेडक्वार्टर मौजूद है। ऐसे में पाकिस्तान के पैर उखड़ने तय थे। इसके अलावा पाकिस्तान की आर्थिक मोर्चे पर भी हालत इतनी पतली है कि अगर आईएमएफ और चीन से उसे भीख न मिले तो खाने को भी तबाह होते देर न लगेगी।
पाकिस्तान की बदहाल अर्थव्यवस्था
आंकड़ों पर गौर करें तो 2023 के अंत तक पाकिस्तान का कुल बाहरी कर्ज लगभग 131 अरब डॉलर तक पहुंच चुका था। विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घटता जा रहा है और महंगाई दर आसमान छू रही है। देश की मुद्रा डॉलर के मुकाबले तेजी से कमजोर हो रही है। जहां भारत का 2024-25 का बजट करीब 48 लाख करोड़ रुपए है, वहीं पाकिस्तान का बजट महज 6 लाख करोड़ रुपए के करीब है। भारत की अर्थव्यवस्था अब 4.3 ट्रिलियन डॉलर को पार कर चुकी है, जबकि पाकिस्तान 370 अरब डॉलर के करीब ही सिमटा हुआ है। ये अंतर सिर्फ आंकड़ों का नहीं है, बल्कि नीति, स्थिरता और नेतृत्व के बीच के अंतर को भी दर्शाता है।
चीन की उधारी दोस्ती या गुलामी?
पाकिस्तान ने 2000 से 2021 तक चीन से लगभग 70.3 अरब डॉलर का कर्ज लिया है, जिसमें अधिकतर राशि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) परियोजनाओं के तहत दी गई। इनमें बंदरगाह, सड़कें और ऊर्जा परियोजनाएं शामिल हैं। परंतु ये कर्ज भारी ब्याज दरों पर मिले हैं और अब चीन इन परियोजनाओं में अपना कब्ज़ा जमाने लगा है, खासतौर पर ग्वादर बंदरगाह पर। चीन धीरे-धीरे पाकिस्तान की जमीन पर कब्जा कर रहा है। CPEC के नाम पर पाकिस्तान को मदद देने वाला चीन, असल में उसकी संप्रभुता को निगल रहा है। ग्वादर बंदरगाह पर चीन को संचालन का अधिकार मिलना और बलूचिस्तान में चीनी सैनिकों की तैनाती जैसे कदम पाकिस्तान को धीरे-धीरे एक उपनिवेश बना रहे हैं। कर्ज चुकाने में असमर्थ पाकिस्तान अब अपनी संपत्ति गिरवी रखने को मजबूर हो गया है।
IMF से कितनी बार लिया कर्ज?
पाकिस्तान ने अब तक IMF से 24 बार कर्ज लिया था, हाल ही में मिले कर्ज को मिलाकर कुल 25 बार हाथ फैला चुका है। 2024 में 7 अरब डॉलर कर्जा लिया था तो आईएमएफ ने शुक्रवार को पाकिस्तान को 1 बिलियन डॉलर का लोन और दे दिया। इसके बाद आईएमएफ के कर्ज देने के तरीके पर भी सवाल उठ रहे हैं। हर बार IMF से कर्ज लेने के बाद पाकिस्तान कड़े आर्थिक सुधारों की शर्तें मानने की बात कहता है लेकिन असल में वो ग़रीब जनता के नाम पर लिए गए फंड को हमेशा से आतंक को पोषित करने के लिए उपयोग करता आ रहा है। IMF के अलावा पाकिस्तान चीन के सामने हाथ फैलाए रहता है, हालांकि चीन ने 2025 में 2 अरब डॉलर का कर्ज रिन्यू किया है, पर यह अब खुले तौर पर संकेत दे रहा है कि वह अंधाधुंध पैसा नहीं बहाएगा। पैसे की दम पर चीन पाकिस्तान को एक ‘वसाल स्टेट’ में बदलता जा रहा है।
गरीबी और भूख की मार
पाकिस्तान की गरीबी दर 2024 में बढ़कर 25.3% हो गई है। करीब 1.3 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे चले गए हैं। देश में आटा, दाल, चावल, दूध जैसी जरूरी चीजों की भारी कमी है। गरीबों को पेट भरना भी मुश्किल हो रहा है। बावजूद इसके पाकिस्तान आतंक की फैक्ट्री चलाने से बाज नहीं आ रहा। मार पड़ते ही मानवाधिकार का रोना रोने वाला ये मुल्क अपने यहां लोगों को जरूरी चीजें भी नहीं दे पा रहा लेकिन गोला-बारूद की बातें करने से बाज नहीं आता, यह वजह है कि देश बेतहाशा गरीबी और अराजकता के दलदल में धंस चुका है। इतना ही नहीं पाकिस्तान के स्कूलों और अस्पतालों की हालत तो भगवान भरोसे है। ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की पहुंच नहीं है लेकिन मदरसों में आतंकवाद का पाठ पढ़ाया जा रहा है। स्वास्थ्य सुविधाएं लगभग खत्म हो चुकी हैं। सरकार के पास संसाधन नहीं हैं और जो हैं, वे रक्षा और कश्मीर मुद्दे पर खर्च कर देती है। यही वजह है कि जो पाकिस्तान गीदड़ भभकी दे रहा था वह कल सीजफायर की दुहाई देता नज़र आ रहा था।
गोली का जवाब गोला से!
शनिवार को ख़ुद पाकिस्तान सीजफायर के लिए गिड़गिड़ाया लेकिन इसके बाद भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आया। शनिवार की रात को ही संघर्ष विराम और वायु क्षेत्र उल्लंघन की घटनाओं को अंजाम दिया। इसके बाद भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पश्चिमी सीमाओं पर तैनात सेना कमांडरों के साथ सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। थल सेना प्रमुख ने 10 मई को हुई डीजीएमओ वार्ता के तहत बनी सहमति के उल्लंघन होने की स्थिति में ‘काइनेटिक डोमेन’ यानी जवाबी कार्रवाई के लिए सेना के कमांडरों को पूरी छूट दे दी है। सेना की ओर से रविवार को जारी बयान के अनुसार, पश्चिमी सीमा पर किसी भी तरह के उल्लंघन पर सेना तुरंत और प्रभावी जवाब देगी।
आतंक के ख़िलाफ़ ‘ऑपरेशन’ जारी!
पाकिस्तान की हरकतों से साफ़ है कि उसकी मौजूदा आर्थिक स्थिति का सबसे बड़ा कारण है उसकी विदेश नीति का आतंकवाद-केंद्रित होना। भारत के खिलाफ आतंकियों को समर्थन देने के लिए उसे वैश्विक स्तर पर पहले ही अलग-थलग किया जा चुका है। नतीजा यह है कि चीन को छोड़कर न कोई देश भरोसा करता है, न निवेश करता है। चीन की मंशा भी पाकिस्तान को तरक्की के रास्ते पर ले जाना नहीं है बल्कि धीरे-धीरे उसकी ज़मीन पर कब्जा करने की है। अब ऐसे में अंतरराष्ट्रीय लोकतांत्रिक शक्तियों को चाहिए कि वे आत्ममंथन करें और पाकिस्तान को आतंकवाद छोड़कर विकास के रास्ते पर चलने के लिए मजबूर करें, वरना यह गर्त तो गहरा ही रहा है। जहां तक आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत के रुख़ की बात है तो भारतीय वायु सेना का स्पष्ट संदेश आगे की कहानी समझाने के लिए काफी है। भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की घोषणा के बाद रविवार को भी भारतीय वायु सेना (आईएएफ) का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर बयान सामने आया। भारतीय वायु सेना ने स्पष्ट कहा कि ‘ऑपरेशन’ अभी जारी है।