कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने ISI के निमंत्रण पर पाकिस्तान का दौरा किया था: हिमंत

गुवाहाटी. असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने रविवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के निमंत्रण पर पाकिस्तान का दौरा किया था और उन्होंने पड़ोसी देश के प्रतिष्ठान के साथ करीब से काम किया था. शर्मा ने यहां एक आधिकारिक कार्यक्रम के इतर पत्रकारों से कहा कि सरकार के पास इस दावे के समर्थन में दस्तावेजी सबूत हैं और उचित सत्यापन के बाद ”हर सबूत 10 सितंबर तक जनता के सामने पेश किया जाएगा”.
उन्होंने दावा किया, ”गौरव गोगोई आईएसआई के निमंत्रण पर पाकिस्तान गए थे. मैं यह पहली बार कह रहा हूं. हमारे पास इसके दस्तावेज हैं. वह पर्यटन के उद्देश्य से नहीं गए थे. वह निश्चित रूप से प्रशिक्षण लेने के लिए वहां गए थे.” शर्मा ने कहा कि लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता पाकिस्तान सरकार के सीधे निमंत्रण पर वहां गए थे और ह्लयह खतरनाक बात है”.
उन्होंने कहा, ”…वह पाकिस्तानी प्रतिष्ठान के साथ करीब से काम कर रहे थे. गृह विभाग कब निमंत्रण भेजता है? यह केवल प्रशिक्षण देने के लिए होता है. नहीं तो आईएसआई उन्हें क्यों आमंत्रित करती?” शर्मा ने कहा, ”विदेश मामलों (विभाग) या किसी विश्वविद्यालय से आमंत्रण मिलना एक अलग बात है. यह विदेश मामलों या सांस्कृतिक विभागों से नहीं था. वह पाकिस्तान के गृह विभाग के सीधे निमंत्रण पर वहां गए थे.” मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के पास गोगोई के कृत्यों के सबूत हैं और इससे बचने का कोई रास्ता नहीं है.
उन्होंने कहा, ”उनके सारे रास्ते बंद हो चुके हैं. हमने सबूत देख लिए हैं. बस हमें कागजात हासिल करने के लिए सितंबर तक का समय चाहिए. हमें एक नोटिस जमा करना होगा और फिर दूतावास हमें दस्तावेज उपलब्ध करायेगा. दस सितंबर अंतिम तारीख है और कृपया उस समय तक इस बारे में फिर से न पूछें.” असम के मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गोगोई पर उनकी पत्नी के आईएसआई से कथित संबंधों को लेकर निशाना साध रहे हैं.
शर्मा ने दावा किया था कि गोगोई की ब्रिटिश पत्नी एलिजाबेथ कोलबर्न ने भारत और पाकिस्तान के बीच 19 बार यात्रा की थी.
उन्होंने मीडिया के एक वर्ग की भी आलोचना की और कहा कि कुछ स्थानीय मीडिया द्वारा यह प्रचारित किया जा रहा है कि गोगोई पाकिस्तान के गृह विभाग से पत्र मिलने के बाद वहां गए थे.
उन्होंने कहा, ”यह बहुत गंभीर मामला है. दस सितंबर तक इंतजार कीजिए और आपको विवरण जानकर हैरानी होगी.” शर्मा ने कहा, ”जब मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी से हर 24 घंटे में कह रहा हूं कि हमारे पास पक्के सबूत हैं, तो आपको मुख्यमंत्री पर विश्वास करना चाहिए और (गोगोई के लिए) अपने प्यार और स्नेह का त्याग करने के लिए तैयार रहना चाहिए.” उन्होंने कहा, ”पाकिस्तान के मामले को लेकर कोई समझौता नहीं हो सकता. यह चुनाव के दायरे से बाहर का बहुत गंभीर अपराध है. अन्यथा, मैं इसे अगले साल अप्रैल में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पेश कर सकता था.” शर्मा ने कहा, ”खेलकूद या धार्मिक उद्देश्यों के लिए लोग जाते हैं. पंजाब से कांग्रेस और भाजपा के सभी सदस्य पाकिस्तान के गुरुद्वारा जाते हैं; यह अलग बात है और इसकी अनुमति विशेष अनुमति के तहत दी जाती है. हालांकि, यदि भाजपा से कोई व्यक्ति व्यापार में लगा है या पाकिस्तान सरकार के निमंत्रण पर वहां गया है, तो निश्चित रूप से मैं आवश्यक कार्रवाई के लिए हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के पास नाम भेजूंगा.” उन्होंने गोगोई को सबूत मांगने वाले ”बचकाने बयान” न देने की भी सलाह दी.
उन्होंने कहा, ”वह (गोगोई) भी जानते हैं कि मेरे पास सबूत हैं. केवल उन्हें अदालत द्वारा प्रमाणित किए जाने की आवश्यकता है, और मुझे उस प्रक्रिया के लिए तीन महीने चाहिए.” जब उनसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की पृष्ठभूमि में आतंकवाद से निपटने के भारत के संकल्प को सामने रखने के लिए विश्व की राजधानियों की यात्रा करने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में गोगोई को शामिल न किए जाने के बारे में पूछा गया तो शर्मा ने कहा कि पूर्वोत्तर के तीन सांसदों को इसमें शामिल किया गया है और यहां के लोग इस बात से बहुत खुश हैं.
उन्होंने कहा, ”नगालैंड से एक और असम से दो सांसद वहां हैं. हमें बेहद गर्व है और हमें लगता है कि हमारे तीन सांसद वैश्विक मंच पर भारत का पक्ष रखने में सार्थक योगदान दे सकेंगे.” शर्मा ने कहा, ”पाकिस्तान एक आतंकवादी देश है और अब वह बांग्लादेश में भी अशांति फैलाने की कोशिश कर रहा है, जिसका सीधा असर पूर्वोत्तर क्षेत्र पर पड़ सकता है. इसलिए, मेरा मानना ??है कि असम के सांसद भुवनेश्वर कलिता और प्रदान बरुआ भारत और पूर्वोत्तर क्षेत्र की चिंताओं को विश्व मंच के सामने रखने में सक्षम होंगे.”
कांग्रेस द्वारा असम के सांसद के नाम की सिफारिश किए जाने के बावजूद प्रतिनिधिमंडल में गोगोई को शामिल न किए जाने के बारे में पूछे जाने पर शर्मा ने कहा कि कलिता और बरुआ दोनों ही अनुभवी सांसद हैं. उन्होंने कहा, ”उनके साथ कोई विवाद नहीं जुड़ा है और उनका पाकिस्तान के साथ कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध नहीं है. इसलिए, मेरा मानना ??है कि वे असम का अधिक उचित तरीके से प्रतिनिधित्व कर पाएंगे.”
छात्र जीवन में बड़े उद्योगपतियों का विरोध करने वाले युवा अंतत: उनके लिए काम करने लगते हैं: हिमंत
असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने रविवार को दावा किया कि वर्तमान समय में वामपंथी और उदारवादी विचारधाराएं ”अब बीती बातें” हो गई हैं और कहा कि छात्र जीवन में बड़े उद्योगपतियों का विरोध करने वाले युवा जीवन में आगे चलकर ऐसे व्यापारिक घरानों के लिए काम करते हैं.
शर्मा ने यह भी कहा कि युवा पीढ़ी के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए राज्य में निवेशकों का स्वागत जरूरी हो गया है और अपील की कि लोगों को ”बड़े युवा नेता के जाल” में नहीं फंसना चाहिए. हालांकि उन्होंने किसी भी नेता का नाम नहीं लिया. लगभग 22,900 करोड़ रुपये की परियोजनाओं के लिए समझौता ज्ञापन से जुड़े समारोह में शर्मा ने ये बातें कहीं. इन समझौता ज्ञापन पर इस साल फरवरी में आयोजित ‘एडवांटेज असम 2.0’ शिखर सम्मेलन के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे.
मुख्यमंत्री ने दावा किया, ”वामपंथी और उदारवादी विचारधाराएं अब बीती बातें हो चुकी हैं. छात्र जीवन में वामपंथी विचारधारा से प्रभावित होने वाले युवा जब नौकरी की तलाश में बाहर जाते हैं तो इसका मतलब यह है कि वे इन विचारधाराओं पर टिक नहीं पाए हैं.” उन्होंने कहा, ”जब उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण करने की कठिन परिस्थिति का सामना करना पड़ता है तो उन्हें उन्हीं व्यापारिक घरानों में नौकरी तलाशनी पड़ती है जिनका उन्होंने छात्र जीवन में विरोध किया था.”
उन्होंने कहा, ”हम टाटा, अदाणी, अंबानी जैसे बड़े नामों का विरोध कर सकते हैं; लेकिन जब बाद में नौकरी पाने की बात आती है तो लोग उनके लिए काम करते हैं.” शर्मा ने कहा कि राज्य में निवेशकों का स्वागत करना आवश्यक है, ताकि दूसरे शहरों में 7,000-8,000 रुपये के मामूली मासिक वेतन पर रोजगार की तलाश कर रहे युवाओं को अपने घर के पास नौकरी मिल सके.
उन्होंने कहा कि अगर युवाओं को राज्य से बाहर जाकर बड़ी कंपनियों में इतनी मामूली रकम पर काम करना पड़ता है तो उन निवेशकों को हमारे राज्य में क्यों नहीं लाया जाता? शर्मा ने दावा किया राज्य के 20 लाख युवा कम वेतन वाले पदों पर बाहर काम कर रहे हैं और उन्हें श्रम कानूनों या सामाजिक सुरक्षा के तहत कोई सुरक्षा नहीं मिलती. उन्होंने कहा कि युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए निवेशकों का स्वागत करना आवश्यक है.
उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा, ”यह महत्वपूर्ण है कि हम ‘किसी बड़े युवा नेता’ के बहकावे न आएं. हम समझदार हो चुके हैं. हमारे लिए हमारे 20 लाख युवाओं का जीवन और भविष्य इस नेता से अधिक महत्वपूर्ण है.” उन्होंने कहा कि गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्य इस ”बहकावे” में नहीं आए और अब सबसे समृद्ध राज्यों में से हैं.