भारत-पाक संघर्ष रोकने के लिए व्यापार की पेशकश के अमेरिका के दावे को भारत ने किया खारिज

नयी दिल्ली. भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ उसके सैन्य संघर्ष के दौरान भारतीय और अमेरिकी नेताओं के बीच बातचीत में व्यापार का मुद्दा बिल्कुल भी नहीं उठा. इस तरह भारत ने एक तरह से अमेरिका के बार-बार किए जा रहे इन दावों को खारिज कर दिया व्यापार की उसकी पेशकश ने टकराव को रोक दिया.
अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने न्यूयॉर्क की एक अदालत को बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच ‘संक्षिप्त संघर्ष विराम’ तभी हुआ जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों को ‘पूर्ण स्तर के युद्ध’ को टालने के लिए अमेरिका के साथ व्यापार करने की पेशकश की. पिछले कुछ हफ्तों में, ट्रंप ने बार-बार यह भी दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को धमकी दी कि अगर वे संघर्ष नहीं रोकते हैं तो अमेरिका दोनों देशों के साथ व्यापार बंद कर देगा.
भारत लगातार यह कहता रहा है कि पाकिस्तान के साथ शत्रुता समाप्त करने पर सहमति दोनों सेनाओं के सैन्य संचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच सीधी बातचीत के बाद बनी थी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ”छह-सात मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने से लेकर 10 मई को गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई बंद करने पर सहमति बनने तक, भारत और अमेरिकी नेताओं के बीच उभरती सैन्य स्थिति पर बातचीत हुई.” उन्होंने अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा, ”व्यापार या टैरिफ का मुद्दा इनमें से किसी भी चर्चा में नहीं आया.”
न्यूयॉर्क की अदालत में ट्रंप प्रशासन की दलीलों पर पूछे गए सवालों के जवाब देते हुए जायसवाल ने कहा, ”विदेश मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया है कि गोलीबारी बंद करने का फैसला भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच सीधी बातचीत में लिया गया था.” लूटनिक ने पिछले सप्ताह अंतरराष्ट्रीय व्यापार न्यायालय में यह प्रस्तुतीकरण दिया, जबकि ट्रंप को टैरिफ लगाने के लिए आपातकालीन शक्तियों का उपयोग करने से रोकने के किसी भी प्रयास का विरोध किया.
शीर्ष अधिकारी ने कहा कि टैरिफ लगाने की राष्ट्रपति की शक्ति वास्तविक दुनिया की कूटनीति का संचालन करने की उनकी क्षमता के लिए महत्वपूर्ण है. लूटनिक ने दलील दी, ”उदाहरण के लिए, भारत और पाकिस्तान – दो परमाणु शक्ति संपन्न देश जो सिर्फ 13 दिन पहले संघर्ष में लिप्त थे, 10 मई को एक सूक्ष्म युद्ध विराम पर पहुंचे. यह युद्ध विराम केवल राष्ट्रपति ट्रंप के हस्तक्षेप के बाद ही हासिल किया गया था और दोनों देशों को पूर्ण पैमाने पर युद्ध को टालने के लिए अमेरिका के साथ व्यापार करने की पेशकश की गई थी.”
ट्रंप के शुल्क आदेश पर अमेरिकी अदालत के फैसले की समीक्षा कर रहा भारत
भारत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को आयात पर व्यापक सीमा शुल्क लगाने से रोकने वाले अमेरिकी अदालत के फैसले के प्रभाव की समीक्षा कर रहा है. सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी. अमेरिकी अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि 1977 का अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम सीमा शुल्क के इस्तेमाल के लिए अधिकृत नहीं करता है. ट्रंप ने आयात शुल्क में भारी वृद्धि के आदेश के आधार के तौर पर इस अधिनियम को ही उद्धृत किया है.
अमेरिका ने दो अप्रैल को भारत पर 26 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की थी. हालांकि, बाद में इसे नौ जुलाई तक के लिए टाल दिया गया था. लेकिन अमेरिका द्वारा लगाया गया 10 प्रतिशत बुनियादी शुल्क लागू है. एक सूत्र ने कहा, “हम अमेरिकी न्यायालय के इस आदेश के प्रभाव की समीक्षा कर रहे हैं.” यह अदालती आदेश ऐसे समय में आया है जब भारत और अमेरिका अंतरिम व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं, जिसमें भारत घरेलू वस्तुओं पर 26 प्रतिशत जवाबी शुल्क से पूरी छूट देने पर जोर दे रहा है.
इस आदेश पर टिप्पणी करते हुए घरेलू निर्यातकों ने कहा कि यह भारत के लिए एक अच्छा संकेत होगा.
शोध संस्थान ‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव’ (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि ट्रंप के शुल्क का कानूनी आधार कमजोर होने से भारत को मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए प्रतिबद्ध होने से पहले अपनी वार्ता रणनीति पर विचार करना चाहिए. यह समझौता अमेरिकी हितों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है.
पाकिस्तान के साथ वार्ता और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते: भारत
भारत ने बृहस्पतिवार को एक बार फिर स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ बातचीत तभी हो सकती है जब वह सीमा पार आतंकवाद बंद कर दे. भारत की यह टिप्पणी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा कश्मीर, आतंकवाद, जल और व्यापार समेत सभी लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए भारत के साथ शांति वार्ता करने की इच्छा व्यक्त करने के जवाब में आई है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा, ”हम दोहराना चाहेंगे कि आतंकवाद और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते.” उनका यह बयान तब आया जब उनसे इस सप्ताह तेहरान में शरीफ की उस टिप्पणी के बारे में पूछा गया जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान भारत के साथ शांति वार्ता करना चाहता है. जायसवाल ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत, पाकिस्तान के साथ केवल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को नयी दिल्ली को सौंपने और आतंकवाद के मुद्दे पर ही बातचीत करेगा.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को उन आतंकवादियों को भारत को सौंपना चाहिए, जिनकी सूची हमने कुछ वर्ष पहले उसे सौंपी थी.
उन्होंने कहा, ”जहां तक ??सिंधु जल संधि का सवाल है, यह तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को अपना समर्थन देना बंद नहीं कर देता और जैसा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था: ”आतंकवाद और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते, आतंकवाद और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते, तथा पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते.” भारत ने 23 अप्रैल को सिंधु जल संधि को स्थगित करने समेत पाकिस्तान के खिलाफ कई कदम उठाये जाने की घोषणा की थी. इन कदमों की घोषणा पहलगाम आतंकवादी हमले के एक दिन बाद की गई थी. पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले में 26 लोग मारे गए थे.
बांग्लादेश को जल्द स्वतंत्र चुनाव कराना चाहिए: भारत
भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह बांग्लादेश के साथ सकारात्मक और रचनात्मक संबंध चाहता है. उसने साथ ही बांग्लादेश में जल्द ही ‘समावेशी, निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव’ कराने की वकालत की. भारत की यह टिप्पणी बांग्लादेश में सरकारी कर्मचारियों द्वारा किए गए ताजा विरोध प्रदर्शनों और विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा इस साल के अंत तक चुनाव कराने की मांग के बीच आई है. ऐसी खबरें हैं कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस देश की ताजा परेशानियों के लिए भारत को दोषी ठहराने की कोशिश कर रहे हैं.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ”हम बांग्लादेश के साथ सकारात्मक और रचनात्मक संबंध चाहते हैं, जो दोनों पक्षों के लोगों की आकांक्षाओं और हितों को पूरा करने पर आधारित हो.” उन्होंने अपनी साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ”बांग्लादेश को जल्द से जल्द समावेशी, निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराकर लोगों की इच्छा और जनादेश का पता लगाने की जरूरत है.” विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बांग्लादेश में उभरती स्थिति पर सवालों का जवाब दे रहे थे. भारत के खिलाफ यूनुस की कथित टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर जायसवाल ने कहा कि शासन से संबंधित मुद्दों पर ध्यान देना सत्ता में बैठे लोगों की जिम्मेदारी है.
उन्होंने कहा, ”जब इस तरह के बयान आते हैं, तो ऐसा लगता है कि आप वहां शासन से जुड़ी अपनी चुनौतियों से ध्यान हटाना चाहते हैं. दूसरों को दोष देना और यह कहना कि दूसरों द्वारा पैदा किए गए ये बाहरी मुद्दे इन समस्याओं का कारण हैं… इससे समस्या का समाधान नहीं होता.” पिछले साल अगस्त में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के चलते अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के ढाका से भारत में आने के बाद भारत-बांग्लादेश संबंधों में भारी गिरावट आई है.
अंतरिम सरकार द्वारा उस देश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर हमलों को रोकने में विफल रहने के बाद संबंधों में तेजी से गिरावट आई. विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि ईरान में लापता हो गए तीन भारतीय नागरिकों के संबंध में भारत उस देश के साथ संपर्क में है. जायसवाल ने कहा कि भारतीयों का पता लगाने के प्रयास जारी हैं. समझा जाता है कि वे इस महीने लापता हो गए थे. जायसवाल ने कहा, ”कुछ दिन पहले वहां पहुंचे तीन भारतीय नागरिका लापता हैं. हम उनका पता लगाने के लिए, उनकी सुरक्षा और अंतत: उनकी घर वापसी के लिए ईरानी अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं.” उन्होंने कहा, ”हमें ईरानी पक्ष से अच्छा सहयोग मिल रहा है और हम पीड़ित परिवारों के संपर्क में भी हैं.” उन्होंने कहा, ”उम्मीद है कि हम इस हालात में अपना सर्वश्रेष्ठ काम कर पाएंगे.”